हापुड़, थाना देहात।
थाना देहात क्षेत्र में पुलिस की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। जानकारी के मुताबिक एक विक्षिप्त किशोरी के साथ दुष्कर्म के मामले में पुलिस ने एफआईआर में जिस आरोपी का नाम सुमित दर्ज किया था, उसे दो दिन थाने में बैठाने के बाद छोड़ दिया गया।
आश्चर्य की बात यह है कि जब पीड़िता के 164 के बयान दर्ज हुए तो उसमें आरोपी का नाम “जतिन” बताया गया। इसी नाम के अंतर को आधार बनाकर थानाध्यक्ष विजय गुप्ता ने आरोपी को बिना किसी ठोस कार्यवाही के छोड़ दिया।
सूत्रों की मानें तो डीआईजी पहले ही थाना प्रभारी विजय गुप्ता की कार्यशैली और लगातार सामने आ रहे लापरवाही भरे मामलों से नाराज़ चल रहे हैं, बावजूद इसके वह अब तक चार्ज पर बने हुए हैं।
यह मामला अब स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बन चुका है। आमजन सवाल कर रहे हैं कि क्या सिर्फ नाम के अंतर के आधार पर गंभीर अपराध के आरोपी को ऐसे ही छोड़ा जा सकता है? क्या पुलिस के पास सत्यापन और गहन जांच की कोई प्रक्रिया नहीं बची है?
प्रशासन से सवाल:
आरोपी को थाने में बैठाने के बाद छोड़े जाने की वजह क्या है?
क्या पीड़िता के बयान को नजरअंदाज करना न्यायसंगत है?
क्या विजय गुप्ता पर विभागीय जांच होगी या एक बार फिर मामला ठंडे बस्ते में जाएगा?
अब देखना यह होगा कि पुलिस प्रशासन इस प्रकरण में क्या ठोस कदम उठाता है, या फिर एक बार फिर किसी मासूम को न्याय से वंचित कर दिया जाएगा।