
जसपुरा।”किताबें इंकलाब पैदा करती हैं, इसलिए स्कूल बंद हो रहे हैं। शराब गुलाम बनाती है, इसलिए ठेके खुल रहे हैं।”यह नाराजगी और पीड़ा सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि पूरे जसपुरा ब्लॉक के लोगों के दिल की आवाज़ है,जहाँ 33 सरकारी प्राथमिक और जूनियर विद्यालयों को बंद करने की तैयारी की जा रही है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा शिक्षा में सुधार के नाम पर चल रही ‘मर्जर नीति’ अब ग्रामीण बच्चों की शिक्षा पर सीधा हमला करती दिख रही है।जसपुरा ब्लॉक क्षेत्र के गांवों जैसे संदेश पुरवा (गलौली),भुइयारानी (कानखेड़ा),आमचौली (गौरी खुर्द),हुषिपुरवा (डाडामऊ),जयपाल डेरा (बड़ागांव), अरखन डेरा,मड़ौली खुर्द,शिकुआ,उजागर डेरा, गाजीपुर,पडवन डेरा,दीनदयाल डेरा सहित कई गांवों के स्कूल इस सूची में शामिल हैं जिन्हें बंद किया जा रहा है।बच्चों की पढ़ाई पर संकट,ग्रामीणों का कहना है कि इन स्कूलों को बंद करने से बच्चों को कई किलोमीटर दूर दूसरे गांवों में पढ़ने जाना होगा,जो न केवल कठिन है,बल्कि छोटे बच्चों के लिए असुरक्षित भी है।इन स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे गरीब और मजदूर परिवारों से आते हैं, जिनके पास परिवहन की व्यवस्था नहीं है।
रोज़गार और भविष्य दोनों पर खतरा
केवल बच्चों की पढ़ाई ही नहीं, इन विद्यालयों से जुड़े रसोइया,सहायिका,सहायक शिक्षक जैसे ग्रामीण रोजगार भी खत्म हो जाएंगे। हर गांव में करोड़ों की लागत से बने स्कूलों को यूँ ही बंद करना,सरकारी संसाधनों की बर्बादी के साथ-साथ ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था की रीढ़ तोड़ना है।कब लड़ेंगे विद्यालय के लिए? सपा नेता पुष्पेंद्र सिंह चुनाले ने इस फैसले के विरोध में आवाज़ बुलंद की है और कहा है:
मंदिर के लिए हम लड़ते है,शराब के ठेके गांव – गांव खुल रहे है तो विद्यालय के लिए हम कभी नही लड़ेंगे? क्या हम अपने बच्चों को अनपढ़ ही छोड़ देंगे
बड़ा जनांदोलन होगा तैयार
उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि प्रदेश सरकार ने यह जनविरोधी और तानाशाही फैसला वापस नहीं लिया, तो पूरे जसपुरा ब्लॉक सहित बुंदेलखंड क्षेत्र में एक बड़ा जनांदोलन खड़ा किया जाएगा,जिसमें बच्चे, अभिभावक और शिक्षक शामिल होंगे।सवाल अब भी खड़ा है “क्यों बंद हो रहे हैं गांव के स्कूल?” क्या सरकार के पास इसका कोई स्पष्ट जवाब है?
क्या बच्चों की शिक्षा से अधिक जरूरी हो गई है सरकारी आंकड़ों की बाज़ीगरी?
जब करोड़ों की बिल्डिंग्स बनी हैं, तो अब क्यों ख़ाली हो रही हैं कक्षाएं?
रिपोर्ट
शिवम सिंह ब्यूरो चीफ बांदा