रिपोर्ट आकाश जायसवाल स्टेट हेड छत्तीसगढ़
अम्बिकापुर/सरगुजा
शहर का एक भी मोहल्ला शायद ही बांकी हो, जहां शाम ढलते ही शराब का आलम न पसरा रहता हो और इन्हें पुलिस का संरक्षण प्राप्त न हो। हफ्ता वसूली तो जैसे पुलिस वालों की फितरत में शामिल हो गया है। नगर के भाथूपारा, लक्ष्मीपुर, बंजारी, महामाया पारा, नया बस स्टैंड, गांधीनगर, नमनाकला, रेलवे स्टेशन, आकाशवाणी चौक इत्यादि स्थान शराबखोरी के बड़े अड्डों में तब्दील हो चुके हैं।
यहां शाम ढलते ही शराबियों की मंडी सजती हैं, जहां शहर के युवा शराब के नशे में धुत्त होकर, हाथों में शराब के जाम छलकाते और बीच सड़कों पर आती जाती महिलाओं और युवतियों पर छेड़छाड़ करते हुए, छींटाकशी करने से भी बाज नहीं आते। पुलिस विभाग लापरवाही पूर्ण कार्यशैली के साथ ही साथ वाहनों की चालानी कार्यवाही में मस्त होने के कारण शहर का माहौल जहरीला हो गया है, जिसमें शहर की युवा पीढ़ी पूरी तरह डूब चुकी है
आपराधिक घटनाओं में भी लगातार इजाफा हो रहा है। कहना लाजिमी होगा कि, रक्षक ही भक्षक बन जाये, तो शहर का आलम क्या होगा, किसी से छिपा नहीं है। ऐसा नहीं है कि पुलिस विभाग के आला अधिकारियों को अपने कर्मचारियों की कारगुजारियों की जानकारी नहीं है, जानबूझकर उनके द्वारा चुप्पी साध ली गयी है, उनकी चुप्पी से स्पष्ट परिलक्षित होता है, पुलिसिया साये में शराब के अड्डे फल-फूल रहे हैं।
कभी कभार छुटपुट कारवाही होती भी है, शराब के ठेकेदारों और पुलिस की मिलीभगत से ले देकर मामला शांत हो जाता है। बस स्टैंड तो जैसे वेश्यावृत्ति का गढ़ बन गया हो। इधर पुलिस विभाग बिलासपुर चौक सहित थानों कुछ दूरी पर पुलिस वाहन खड़ा कर चालानी कार्यवाही में मस्त है। पुलिस विभाग की कुंभकर्णी नींद कब खुलेगी ये तो वक्त ही बताएगा, पर इन दिनों शराबखोरी और वेश्यावृत्ति के धंधे में चार चांद लगे हुए