माँ तेरी ममता,न लफ्ज़ो में बयां होती।
बिना तेरे महक के माँ,ज़माना यूँ सताता है।
विलोचन से झरे मोती,हिया को यूँ जलाता है।
—————————————————-
तेरे ही प्यार में खिलती रहूँ, मन्नत मेरे मन की।
तेरे ही छाँव में पलती रहूँ, जन्नत ये जीवन की।
न जाना दूर मेरी माँ,ये भय मन को सताता है।
बिना तेरे महक के माँ,ज़माना यूँ सताता है।
—————————————————–
बिना तेरे महक के माँ,ज़माना यूँ सताता है।
विलोचन से झरे मोती,हिया को यूँ जलाता है।
—————————————————–
मेरी ओ! माँ तेरी ममता,न लफ्ज़ो में बयां होती।
मैं जब तक सो नही जाती,तब तक तुम नही सोती।
तेरे सजदे से खिल उठता चमन,दुःख को भुलाता है
बिना तेरे महक के माँ,ज़माना यूँ सताता है।
—————————————————–
बिना तेरे महक के माँ,ज़माना यूँ सताता है।
विलोचन से झरे मोती,हिया को यूँ जलाता है।
★★★★★★★★★★★★★★★
गीत- प्रियांशी बरनवाल