गीत
तुम्हारी जोगन
“तुम्हारी याद में सारे,सजे हैं ख़्वाब ये मेरे।
यहाँ रंगीन वादी में,पुकारे नाम को तेरे।।
तुम्हारी हूँ बनी जोगन,तुम्हारे गीत की प्यासी।
यहाँ तेरी गली में हूँ, तुम्हारी मैं बनी दासी।।
जरा तानें सुनाकर के,बुझा दो प्यास को मेरे।
यहाँ रंगीन वादी में, पुकारे नाम को तेरे।।
तुम्हारी याद में सारे,सजे हैं ख़्वाब ये मेरे।
यहाँ रंगीन वादी में,पुकारे नाम को तेरे।।
दिवानी मैं बनी तेरी,तुम्हारे पास आई जब।
लगन ऐसी लगी तेरी,महावर मैं लगाई तब।
तुम्हारे संग में नाचूँ, हटाकर मैं सभी पहरें।
यहाँ रंगीन वादी में,पुकारे नाम को तेरे।।
तुम्हारी याद में सारे,सजे हैं ख़्वाब ये मेरे।
यहाँ रंगीन वादी में,पुकारे नाम को तेरे।।
तुम्हारे संग बीते जो,सुहानी शाम ये सारी।
तुम्हारे रंग में बीते, रूहानी रात ये सारी।
फँसी मझधार में जो मैं, तुम्हीं आधार हो मेरे।
यहाँ रंगीन वादी में,पुकारे नाम को तेरे।।
तुम्हारी याद में सारे,सजे हैं ख़्वाब ये मेरे।
यहाँ रँगीन वादी में,पुकारे नाम को तेरे।।
हमारे प्रेम की गाथा,सुनी जाए जमाने में।
बहेगी प्रेम की गंगा ,दिलों के आशियानें में।
तुम्हारे गीत गाने से, मिटे है घाव सब गहरे
यहाँ रंगीन वादी में,पुकारे नाम को तेरे।।
तुम्हारी याद में सारे,सजे हैं ख़्वाब ये मेरे।
यहाँ रंगीन वादी में,पुकारे नाम को तेरे।।”
रचनाकार
प्रियांशी बरनवाल
उत्तर प्रदेश