बुन्देलखंड का सफेद सोना बदल देगा किसानों की किस्मत
बांदा- बुंदेलखंड में सफेद सोना कहे जाने वाले लहसुन की खेती से किसानों के दिन बहुरेंगे। बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने लहसुन की दो नई प्रजातियों का मूल्यांकन किया है। इसमें सामने आया है कि यहां की मिट्टी में वह पोषक तत्व हैं जो लहसुन की इन प्रजातियों के माध्यम से किसानों की आय दोगुनी कर सकते हैं।
बुंदेलखंड के किसानों का पिछले एक दशक से लहसुन की खेती से मोह भंग हो रहा था। बेहतर उत्पादन न होने के कारण किसान या तो लहसुन की खेती करते ही नहीं थे या फिर बहुत ही कम पैमाने पर बोआई करते थे। ऐसे में बांदा कृषि विश्वविद्यालय ने शोध किया और पाया कि दो नई प्रजातियां यमुना सफेद दो जी 50 और यमुना सफेद तीन जी 282 किसानों के लिये वरदान साबित हो सकती हैं।
बुंदेलखंड में बेहतर संभावनाएं:बांदा कृषि विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डा. आर के सिंह की मानें तों बुंदेलखंड में लहसुन की खेती की बेहतर संभावनाओं का मूल्यांकन कर रहे हैं। उनके अनुसार ये दो नई प्रजातियां उत्पादन से भरपूर हैं। दोनों प्रजातियों को विश्वविद्यालय ने स्वयं शोध के तौर पर अपने फार्म पर लगाया है। उन्होने कहा कि इन प्रजातियों के बीज प्रयोग के तौर पर कई किसान आजमा रहे हैं। यह फसल 140 से 150 दिनों की होगी। जो 15 अक्टूबर से 15 अप्रैल के मध्य लगायी जाती है।
मिट्टी में बेहतर है सल्फर की मात्रा-
सल्फर मृदा पोषण में चौथा सबसे आवश्यक तत्व होता है। इस पर किसान प्राय: ध्यान नहीं देते हैं। बुंदेलखंड के जलवायु में सामान्य से काफी अंतर पाया जाता है, लेकिन यहां की मिट्टी में सल्फर की मात्रा काफी बेहतर है। शोध में सामने आया है कि यहां सल्फर (गंधक) 30 से 40 पीपीएम से ऊपर है। यह पौधों में एंजाइमों की क्रियाशीलता बढ़ाता है। सल्फर की बेहतर मात्रा यहां के किसानों का दुख दूर करेगा।
यमुना सफेद दो और यमुना सफेद तीन की खूबियां –
इस नई प्रजाति में गांठे बड़ी बन रही हैं।यहां की मिट्टी में पाये जाने वाले सल्फर की अधिकता से बढ़ेगा उत्पादन तथाअन्य प्रजातियों से इसका पौध मजूबत तैयार होता है।कृषि वैज्ञानिक के दावे की मानें तो लहसुन की नई प्रजातियों का मूल्यांकन हुआ है। यह दोनो प्रजातियां किसानों के काफी लाभकारी होंगी। किसानों को इन प्रजातियों के लिये प्रेरित किया जा रहा है।