इंटरनेट और स्मार्टफोन की दुनिया में खोया बचपन – अमन दीप सचान (Aman Deep Sachan)
बचपन काल एक ऐसा जीवन होता है जिसे बच्चे खुलकर बिना चिंता के साथ जीते हैं परंतु आज का बचपन केवल इंटरनेट और मोबाइल फोन, लैपटॉप, कंप्यूटर की दुनिया में खो गया है आजकल बच्चे इंटरनेट की दुनिया में सब कुछ भूल चुके हैं और केवल इंटरनेट और स्मार्ट फोन को ज्यादा महत्व देते हैं आज से लगभग डेढ़ दशक पहले बच्चों का गांव की चौपालों में अपने दादी बाबा के साथ और गांव के अन्य बच्चों के साथ गुल्ली डंडे ,गोली कंचे, कबड्डी, बैट बाल आदि खेलना सारा बचपन आज की स्मार्ट दुनिया में गुम होता जा रहा है न जाने वह बचपन आजकल इंटरनेट की दुनिया में क्यों घूम होता जा रहा है
बचपन में सावन के पर्व में गांव में झूले पड़ना बच्चों का झूला झूलना आज बिल्कुल खत्म होता जा रहा है
मुझे आज भी याद है बचपन में सावन के पर्व में झूले झूलना और दादी बाबा की कहानियों में गुम हो जाना शायद अब के बच्चों के लिए एक इक्तिफाक है पहले बचपन में छोटी-छोटी लकड़ियों की गाड़ियों का खेल खेलना गांव के बच्चों का एक जगह एकत्र होना और आपस में मिलाकर लड़ झगड़ा कर खेलना अब गुम होता जा रहा है अब स्मार्टफोन कि दुनिया शहरों से बढ़कर गावो की तरफ आती जा रही है और बच्चों को इसका शिकार बनती जा रही है।गावो में भी इस समय स्मार्टफोन की ओढ़ लगी हुई है जिसमें लोग निरंतर स्मार्ट होते जा रहे है और बच्चे अपना बाल्यकाल भूलते जा रहे हैं आज का बचपन मोबाइल फोन इंटरनेट गेम्स की दुनिया में खोता जा रहा है। मानो ऐसा लगता है कि धीरे-धीरे बाल्यकाल का अंत होता जा रहा है आजकल बच्चों के लिए मोबाइल इंटरनेट मनोरंजन का साधन बनते जा रहे हैं परंतु इंटरनेट और स्मार्टफोन की वजह से 90 प्रतिशत लोग बीमार पड़ रहे हैं और बाल्यकाल से बच्चों की आंखों की रोशनी कम होती जा रही है इसी कारण बाल अवस्था में ही बच्चों को कई घातक बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है