आप प्रोफेशनल से ज्यादा साफ नहीं देख, समझ सकते
आपको ये मान लेना चाहिए पुलिस पर हमला कर आठ जवानों की हत्या करने वाले के लिए पुलिस को एनकाउंटर की इस से बेहतर कहानी नहीं मिल सकती थी क्या?
आपको लगता है पुलिस ने ये बचकानी स्टोरी सच छिपाने के लिए गढ़ी है तो आप पूरी तरह गलत है! ATS जो एनकाउंटर के लिए ही जानी जाती है उसे नहीं मालूम होगा कि ये कहानी आम जन नहीं पचा पायेगा? उज्जैन से कानपुर का सफर अगर आपने कभी वाय रोड किया है तो आपको बखूबी मालूम होगा पूरे रास्ते में ऐसी तमाम सूनसान जगह हैं जहां बहोत आसानी से SUV ही नहीं बस भी पलटाई जा सकती अगर चलाने वाला खुद चाहे तो, मगर विकास दुबे को कानपुर देखकर ही भागने का ख्याल क्यों आया ये साफ है पुलिस जिसे राज्य सरकार का पूर्ण समर्थन हासिल होता है वो अपराधियों में पुलिस और दुबे की मुठभेड़ के नतीजे को नजीर बनकर पेश करना चाहती थी! उसने वही किया और दिखाया किस तरह हजारों बार की दोहराई गई कहानी के आधार पर जब चाहे वो उन्हें वैकुंठ धाम पहुचा सकती है, इस कहानी की एक खासियत और है कि ये हजारों बार की जाँची परखी जा चुकी है,अदालत में किस पोइंट पर क्या सवाल होगा और उनके क्या ज़बाब होंगे सब तय है,आप सोशल मीडिया पर ही नहीं सड़क पर भी हल्ला मचा लीजिए केस अदालत में ही चलेगा इस मामले में विपक्ष की हिम्मत नहीं की वो जरा सा भी स्टैंड ले सके क्योंकि इस से सत्ताधारी दल उन्हें आसानी से अपराधियों का हिमायती घोषित कर देगा, तो यहाँ एक तीर से कई शिकार किए गये हैं किस का नाम खुलता किस का नहीं ये सत्ताधारी और विपक्षी पार्टी दोनों बखूबी जानते होंगे,इसलिए इस मसले पर कुछ भी बहुत लंबा चलेगा इसकी संभावना ना के बराबर है !
आप जग्गा जासूस बनें या जेम्स बांड याद रखें आप उनसे आगे नहीं सोच सकते जो हर दिन उस परिस्थिति से जूझते है और मनचाही परिस्थितियों का निर्माण करते हैं, विकास दुबे पर कल कई मीम्स बने जब उसने चिल्लाते हुऐ बताया कि वो वही “विकास दुबे है कानपुर वाला” ऐसा उसने सिर्फ इसलिए किया होगा उसे जरूर अंदाजा होगा उसके साथ ये होगा पर मीडिया में जब उसके नाम की हेडलाइन दौड़ेगी तो शायद पुलिस उसका एनकाउंटर नहीं करे क्योंकि अधिकतर पुलिस हिरासत में लेने की खबर पब्लिक में आने से पहले ही एनकाउंटर कर मामला निपटा देती है मगर दुबे भूल गया कि पुलिस अगर अपनी पर आ जाये तो उस से बड़ा गुन्डा कोई नहीं!