हॉर्स ट्रेडिंग (Horse Trading) के डर से होटल (Hotel) में बाड़ा बंदी किए विधायकों (MLA) से मिलने की बात हो तो कभी कांग्रेस-एनसीपी (Congress-NCP) के नेताओं से बैठकों का दौर हो, अब किंग मेकर से किंग बनने के लिए उद्धव ठाकरे (Udhav Thackeray) को मातोश्री (Matoshree) के बाहर कदम रखना ही पड़ा.
मुंबई. महाराष्ट्र (Maharashtra) में सियासत की धुरी माने जाने वाला मातोश्री (शिवसेना प्रमुख का निवास) इन दिनों नेताओं के चहल-पहल और बनते बिगड़ते समीकरणों से दूर हो गया है. कभी बाला साहब ठाकरे यहां से महाराष्ट्र के अलावा देश की राजनीति में भी अपना दखल रखते थे. बड़े-बड़े नेता उनसे मिलने मातोश्री (Matoshree) में ही आते थे. लेकिन अब महाराष्ट्र की राजनीति में ऐसा भूचाल आया है कि शिवसेना (Shiv Sena) के प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को सियासी उलझन को सुलझाने के लिए मुंबई (Mumbai) के होटलों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. ठाकरे परिवार से मुख्यमंत्री (Chief Minister) बनाने की चाहत में उन्हें अब मातोश्री के बाहर पैर रखना पड़ रहा है. इसके साथ ही शिवसेना और बीजेपी (BJP) का दशकों पुराना रिश्ता भी अब करीब-करीब टूटता नजर आ रहा है.
लेकिन नहीं बनी बात
उद्धव ने मातोश्री से बाहर कदम रखने के साथ ही कई होटलों के चक्कर काटे. होटल रंग शारदा और रिट्रीट मलाड, जहां शिवसेना की विधायकों की रखा गया था, वहां तो वो आधी रात को भी पहुंचे. सूत्रों के अनुसार सरकार बनाने की चाह में उद्धव होटल ताज लैंड जा कर एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार से मिले, वहीं होटल ट्राइडेंट बांद्रा में जाकर वो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल से भी मिले लेकिन इस पूरे समय में कोई भी मातोश्री नहीं पहुंचा.
किंग मेकर से किंग बनने की राह में शिवसेना
एक जमाने में ठाकरे परिवार को किंग मेकर कहा जाता था. लेकिन अब ऐसा लगने लगा है कि उद्धव ठाकरे किंग मेकर से किंग बनने की राह पर चल पड़े हैं. इसी फेर में वो अब कांग्रेस और एनसीपी के सियासी दांव-पेंच में पड़कर बीजेपी से भी नाता तोड़ने में लगे हैं. लेकिन किंग की कुर्सी तक पहुंचने की राह अभी भी आसान नहीं लग रही है. कांग्रेस और एनसीपी के पुराने आपसी पेंच इतने हैं कि उन्हें सुलझाने में काफी समय लगेगा. इसका यह साफ मतलब है कि महाराष्ट्र में सरकार इतनी आसानी से और जल्दी नहीं बन सकेगी. ऐसे में किंग की कुर्सी को लेकर भी असमंजस बना रहेगा.
कांग्रेसी एनसीआर ने भी डाला ढाई साल की सरकार का खेल
बीजेपी और शिवसेना के बीच जिस दौरान ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री वाले फॉर्मूले को लेकर खींचतान चल रही थी, उस दौरान एनसीपी ने शिवसेना को सरकार बनाने का प्रलोभन दिया. साथ ही कह दिया था कि पांच साल के लिए सीएम शिवसेना का ही हो सकता है. हालांकि शरद पवार ने कभी भी इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया. अब खबर है कि कांग्रेस और एनसीपी ने भी ढाई-ढाई साल के सीएम की शर्त शिवसेना के सामने रख दी है. यदि कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना की मिलीजुली सरकार बनती भी है तो किंग की कुर्सी तो उद्धव के हाथ में सिर्फ ढाई साल के लिए ही आती दिखेगी.