
फतेहपुर, अमौली ब्लॉक: जिले के अमौली विकासखंड अंतर्गत बिघनपुर ग्राम में स्थित प्राचीन काली मां मंदिर में चैत्र नवरात्रि के पावन अवसर पर धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भव्य श्रृंखला देखने को मिली। मां काली के दरबार से जवारा यात्रा निकाली गई, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। साथ ही दो दिवसीय पारंपरिक मेला और रामलीला मंचन ने समूचे क्षेत्र को धार्मिक रंग में रंग दिया।
मां काली के दरबार से निकली आस्था की धारा
जवारा यात्रा के दौरान गांव की कन्याओं और महिलाओं ने सिर पर जवारे (जौ के पौधे) रखकर मां काली के जयघोष करते हुए गांव में शोभायात्रा निकाली। ढोल-नगाड़ों और शंखध्वनि के साथ निकली इस यात्रा में पुरुष, महिलाएं और बच्चे बड़ी श्रद्धा के साथ शामिल हुए। मंदिर प्रांगण से शुरू होकर गांव के मुख्य मार्गों से होते हुए यात्रा पुनः मंदिर पर समापन को पहुंची।
दो दिवसीय मेले में उमड़ी भीड़
काली मां मंदिर परिसर और उसके आसपास के क्षेत्र में दो दिवसीय मेला लगा, जिसमें दूर-दूर से दुकानदार और श्रद्धालु पहुंचे। मेले में बच्चों के लिए झूले, खिलौने, खानपान की स्टॉल, पूजा सामग्री और ग्रामीण उत्पादों की दुकानों की भरमार रही। मेला न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी संजीवनी साबित हुआ।
रामलीला मंचन ने जीता दर्शकों का दिल
मेला आयोजन के साथ ही गांव के सांस्कृतिक मंच पर रामलीला का दो दिवसीय मंचन किया गया। पहले दिन श्रीराम के वनवास, पंचवटी प्रवास और सीता हरण की घटनाएं प्रस्तुत की गईं, जबकि दूसरे दिन राम-रावण युद्ध और विजय का भव्य मंचन किया गया। स्थानीय कलाकारों ने अद्भुत अभिनय के माध्यम से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। रामलीला मंचन के बाद आतिशबाजी ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए।
ग्रामीणों की भूमिका और प्रशासन का सहयोग
इस आयोजन की सफलता में गांव के युवाओं, महिलाओं, मंदिर समिति और ग्राम पंचायत की अहम भूमिका रही। सुरक्षा और व्यवस्था के लिए पुलिस प्रशासन ने भी पूरी मुस्तैदी दिखाई। स्वच्छता, पेयजल और यातायात की सुचारू व्यवस्था देखने को मिली।
समापन पर हवन-पूजन और प्रसाद वितरण
दूसरे दिन रामलीला के समापन के साथ ही मंदिर प्रांगण में विशेष हवन-पूजन और भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। श्रद्धालुओं ने मां काली से सुख-शांति और समृद्धि की कामना की।
निष्कर्ष
बिघनपुर ग्राम का यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक रहा, बल्कि इससे ग्रामीण सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक एकता का परिचय भी मिला। ऐसे आयोजनों से गांवों में ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार होता है।
(रिपोर्ट: सुकेश कुमार, जिला ब्यूरो चीफ, फतेहपुर)