
– गर्मी में खेत नहीं, पानी जुटाना बनी बड़ी चुनौती
बांदा। संवाददाता
ग्राम पंचायत अछरौंड़ में इस वर्ष की भीषण गर्मी ने पेयजल संकट को और अधिक गंभीर बना दिया है। जहां एक ओर लोग खेतों की कटाई में व्यस्त होने चाहिए, वहीं वे पानी की एक-एक बूंद के लिए जूझ रहे हैं। ग्रामीणों ने जल संकट का स्थायी समाधान कराने की प्रबल मांग करते हुए प्रशासन से गुहार लगाई है।
तीन स्रोत, फिर भी सूखे कंठ
ग्राम पंचायत में शुद्ध पेयजल के लिए तीन प्रमुख स्रोत हैं – कुएं, रिंगबोर और भूरागढ़ जल संस्थान से जलापूर्ति। लेकिन सभी व्यवस्थाएं पूरी तरह से चरमराई हुई हैं।
रिंगबोर स्टोरेज में वर्षों से सफाई नहीं हुई और ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव भी नहीं किया जा रहा, जिससे पानी में दुर्गंध और कीड़े तक पनपने लगे हैं।
*भूरागढ़ जल संस्थान से जुड़ी पाइपलाइनें चोक हैं। कुछ इलाकों में पानी पहुंचता ही नहीं।
एकमात्र सहारा कुएं हैं, जहां सुबह 3 बजे से ही ग्रामीण लाइन लगाकर पानी भरने पहुंचते हैं।
प्रशासन और जनप्रतिनिधि बेपरवाह
ग्रामीणों का आरोप है कि न ग्राम प्रधान और सचिव इस संकट पर ध्यान दे रहे हैं, न ही भूरागढ़ जल संस्थान की ओर से कोई सार्थक कदम उठाया गया है। पिछले पंद्रह दिनों से ऊपरी बस्ती में पानी की आपूर्ति पूरी तरह बंद है।
हर साल दोहराता है संकट, नहीं होता स्थायी हल
गांववासियों का कहना है कि हर साल गर्मी आते ही यह संकट विकराल रूप लेता है, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया। अधिकारी सिर्फ सुनवाई का आश्वासन देते हैं, मगर ज़मीनी हकीकत जस की तस बनी रहती है।
ग्रामीणों की मांग
रिंगबोर स्टोरेज की तत्काल सफाई कराई जाए।
भूरागढ़ जल संस्थान की पाइपलाइन की मरम्मत की जाए।
जल आपूर्ति को नियमित और क्लोरीन युक्त किया जाए।
स्थायी समाधान हेतु दीर्घकालिक योजना बनाई जाए ताकि हर वर्ष का यह जल संकट समाप्त हो सके।
प्रतिनिधिमंडल ने दी प्रार्थना पत्र
इस गंभीर मुद्दे को लेकर विमल द्विवेदी, रामजी द्विवेदी और घासीराम निषाद ने ग्रामीणों की ओर से प्रशासन को ज्ञापन सौंपा और अविलंब आवश्यक कदम उठाने की मांग की।