
बांदा।
जनपद के बेसिक शिक्षा विभाग में एक बार फिर कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं। नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के साथ बच्चों को पाठ्यपुस्तकों का वितरण शुरू हो गया है, लेकिन यह जिम्मेदारी अब स्कूलों में कार्यरत परिचारकों पर डाल दी गई है। तिंदवारी के खंड शिक्षा अधिकारी विनोद कुमार पटेरिया द्वारा जारी एक पत्र के अनुसार, बीआरसी से जुड़े छह पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के परिचारकों को पुस्तक वितरण के लिए अस्थायी रूप से नियुक्त किया गया है।
20 मार्च को जारी किया गया आदेश
खंड शिक्षा अधिकारी ने 20 मार्च को आदेश जारी कर पूर्व माध्यमिक विद्यालय दतरौली, महेदू, चिल्ला, गोखरही, खौड़ा और दिघवट के परिचारकों की ड्यूटी बीआरसी में पुस्तक वितरण के लिए लगा दी। जबकि इन परिचारकों की नियुक्ति केवल विद्यालयीय कार्यों और छात्रों की देखरेख के लिए होती है।
बीआरसी में काम, लेकिन बीएसए को नहीं खबर
सबसे हैरानी की बात यह है कि इस पूरे मामले की जानकारी खुद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अभिव्यक्त राम तिवारी को नहीं है। जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा,
“मुझे इस मामले की कोई जानकारी नहीं है, ये अपना बीआरसी वाले जानें, हमसे कोई मतलब नहीं रहता है।”
एक तरफ जहां विभागीय मुखिया अनभिज्ञता जता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर खंड शिक्षा अधिकारी पुस्तक वितरण के काम में विद्यालय स्टाफ की तैनाती कर रहे हैं।
खंड शिक्षा अधिकारी का बयान
इस संबंध में तिंदवारी के बीईओ विनोद कुमार पटेरिया ने कहा,
“ये ड्यूटी परिचारकों की लगाई गई है, जिसमें वे वाहन में पुस्तकें लोड करके विद्यालयों तक पहुंचाएंगे। यह कार्य शासन के निर्देशानुसार हो रहा है।”
प्रश्न उठते हैं…
क्या विद्यालयों में इन परिचारकों की अनुपस्थिति से बच्चों को कोई असुविधा नहीं होगी?
यदि बीआरसी में ऐसे कार्य होने हैं तो क्या उसके लिए समुचित अलग स्टाफ नहीं होना चाहिए?
और सबसे बड़ी बात, क्या एक विभाग का मुखिया अपने ही सिस्टम से इतना अनजान हो सकता है?
इस प्रकरण ने न केवल शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न खड़े किए हैं, बल्कि यह भी उजागर किया है कि जिम्मेदारी के नाम पर किस प्रकार निचले स्तर के कर्मचारियों पर कार्य का अतिरिक्त बोझ डाला जा रहा है।
शिवम सिंह ब्यूरो चीफ बांदा