
जांजगीर-चांपा, छत्तीसगढ़: चांपा शहर स्थित अनुविभागीय दंडाधिकारी (एसडीएम) और तहसीलदार कार्यालय इन दिनों भ्रष्टाचार और दलाली के गढ़ के रूप में चर्चाओं में है। आम जनता की समस्याओं का समाधान कराने के नाम पर कार्यालय परिसर में दलालों का जमावड़ा देखा जा रहा है, जो खुद को अधिकारियों से संबंध रखने वाला बताकर लोगों से मोटी रकम वसूल रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जमीन विवाद, डीजे परमिशन, मुआवजा भुगतान, राजस्व प्रकरण जैसे मामलों को लेकर दूर-दराज़ से आने वाले ग्रामीण नागरिकों को यह कहकर फंसाया जाता है कि दलालों के “अच्छे संबंध” तहसीलदार और एसडीएम से हैं। पीड़ित नागरिक झूठे आश्वासनों के जाल में फंसकर हजारों रुपए देने को मजबूर हो जाते हैं।
बाबुओं की मनमानी, रिश्वत के बिना नहीं होता कोई काम
कहा जा रहा है कि चपरासी से लेकर उच्च अधिकारी तक बिना रिश्वत के किसी भी काम को अंजाम नहीं देते। कार्यालय में पदस्थ बाबुओं की ऊँची पहुँच और दलालों से सांठगांठ के चलते यह अवैध वसूली बेरोकटोक जारी है। हाल ही में तहसीलदार और एसडीएम का तबादला हुआ था, जिससे जनता को कुछ उम्मीदें थीं, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता ने उन उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
शिकायतें नहीं, भ्रष्टाचार बेहिचक
चौंकाने वाली बात यह है कि इस खुलेआम चल रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ अब तक कोई ठोस शिकायत दर्ज नहीं की गई है। इसकी वजह से दलाल और भ्रष्ट कर्मी दिनदहाड़े शोषण को अंजाम दे रहे हैं।
जनता की माँग: हो कार्रवाई, हो तबादले
अब जनता की ओर से जिला कलेक्टर से यह मांग उठ रही है कि वर्षो से जमे बाबुओं का तबादला किया जाए और एसडीएम व तहसीलदार कार्यालय में पारदर्शिता लाई जाए, ताकि आम नागरिकों को राहत मिल सके।