
– सड़क दुर्घटना के मामलों में कार्यवाही, घायलों को शीघ्र अस्पताल पहुंचाने पर हुआ विचार
बांदा। पुलिस अधीक्षक पलाश बंसल के निर्देशन में रविवार को नवीन सभागार पुलिस लाइन में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने,सड़क दुर्घटनाओं में होने वाले घायलों को अस्पताल पहुंचाने,सड़क दुर्घटना संबंधी अभियोगों की विवेचनाओं के गुणवत्तापूर्ण निस्तारण तथा न्यायालय और मोटरवाहन दावा प्राधिकरण में समय से रिपोर्ट प्रेषित करने के संबंध में अपर पुलिस अधीक्षक शिवराज की अध्यक्षता में प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया।कार्यशाला में क्षेत्राधिकारी यातायात,अपर मुख्य चिकित्साधिकारी, यात्री कर अधिकारी,जनपद न्यायालय में स्थित मोटरवाहन दावा प्राधिकरण के शासकीय अधिवक्ता, विभिन्न बीमा कम्पनियों के स्थानीय अधिवक्ता, सभी थानों के सड़क दुर्घटना के अभियोगों के विवेचक तथा कम्प्यूटर आपरेटर मौजूद रहे।कार्यशाला में अपर पुलिस अधीक्षक द्वारा सड़क दुर्घटना में घायलों को डायल यूपी-112,एम्बुलेंस सेवा-108 के माध्यम से शीघ्र अस्पताल पहुंचाने तथा गोल्डेन ऑवर के समय प्रभावी चिकित्सा सुविधा प्रदान करने पर जोर दिया गया जिससे हानि को न्यूनतम किया जा सके।सड़क दुर्घटनाओं की सूचना देने वालो को प्रोत्साहित करने तथा “गुड समेरिटन सर्टिफिकेट” देकर पुरस्कृत करने तथा विवेचनाओं के दौरान ऐसे जिम्मेदार एवं सामाजिक व्यक्तियों को विवेचक द्वारा परेशान न करने हेतु निर्देशित किया गया।उन्होने कहा कि दुर्घटना स्थल पर पुलिस मौके पर पहुंचकर घटनास्थल का वीडियो आईआरएडी पोर्टल पर शत प्रतिशत अपलोड करना सुनिश्चित करें साथ ही सड़क दुर्घटनाओं की एफआईआर पत्।क् के माध्यम से दर्ज किए जाएं।कार्यशाला में उपस्थित छप्ब् के नोडल अधिकारी विकास द्वारा सभी विवेचकों से अनुरोध किया गया कि कहीं भी सड़क दुर्घटना होती है तो मौके पर जाकर पत्।क् पोर्टल में तुरन्त सूचना अवश्य दर्ज की जाय।कार्यशाला में बताया गया कि पत्।क् में सूचना भरते ही परिवहन विभाग के आईआरएडी द्वारा मौके पर जाकर दुर्घटनाग्रस्त वाहनों का तकनीकि मुआयना कर सूचना ऑनलाइन भर दी जाती है । कार्यशाला में सभी विवेचकों को जानकारी दी गई कि सड़क दुर्घटना से सम्बन्धित एफआईआर दर्ज होने पर एफआईआर की एक प्रति पीड़ित को एक प्रति न्यायालय भेजी जाए, एफआईआर दर्ज होने के 48 घण्टे के भीतर प्रथम दुर्घटना रिपोर्ट दावा प्राधिकरण को सीधे भेजी जाएगी और एक कॉपी बीमा कम्पनी के नोडल अधिकारी को मेल के माध्यम से दी जाएगी।कार्यशाला में सभी विवेचको को निर्देशित किया गया कि 60 दिनों के भीतर सड़क दुर्घटना की विवेचना को हर हालत में पूरी कर आरोप पत्र सम्बन्धित में प्रेषित की जाएगी।उसके उपरान्त विवेचको द्वारा विस्तृत दुर्घटना रिपोर्ट तैयार की जाएगी। प क्।त् को 90 दिनों के भीतर ड।ब्च् को भेजा जाएगा जिसके आधार पर एमसीपी द्वारा पीड़ितों को भुगतान हेतु आगे की कार्यवाही की जाएगी।ऐसे मामलें जिनमें दुर्घटना करने वाले वाहन का पता नहीं चलता है और विवेचक द्वारा अभियोगों की विवेचना जरिये अन्तिम रिपोर्ट समाप्त की जाती है ऐसे हिट एण्ड रन के मामलों में पीड़ितो को मुआवजा देने के लिए अन्तिम रिपोर्ट की प्रति के साथ क्।त् रिपोर्ट जिलाधिकारी को प्रेषित की जाएगी और वादी को भी अवगत कराया जाएगा।जिलाधिकारी द्वारा ऐसे मामलों में निर्धारित प्रक्रिया के तहत मृतकों को 02 लाख रुपए तथा गम्भीर रुप से घायलों को 50 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दिए जाने के संबंध में अग्रिम निर्णय लिया जाता है । कार्यशाला में ड।ब्च् के अधिवक्ता अतुल शुक्ला व उनकी टीम के द्वारा अवगत कराया गया कि नई नियमावली में सड़क दुर्घटना में घायलों/मृतकों को मुआवजा की प्रकिया में पुलिस विभाग का अहम योगदान है।विवेचक द्वारा समय से कार्यवाही कर दिए जाने की स्थिति में 06 माह के अन्दर दावे के भुगतान की कार्यवाही कर दी जाती है।अपर पुलिस अधीक्षक द्वारा डिस्ट्रिक ई-मिशन से सम्बन्धित सभी सीसीटीएनएस कर्मियों को गिरफ्तारी प्रपत्र, सीजर प्रपत्र तथा अन्य सभी प्रपत्र समय से भरने हेतु निर्देशित किया गया।
रिपोर्ट
शिवम सिंह ब्यूरो चीफ बांदा