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गुरु का दर्जा भगवान से भी ऊपर होता है, लेकिन जब समाज में उन्हीं शिक्षकों का अपमान होता है, तो यह शिक्षा व्यवस्था और नैतिकता पर सीधा प्रहार बन जाता है। एक ऐसा ही चौंकाने वाला मामला उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जनपद के थाना थरियांव क्षेत्र के सधुवा गांव से सामने आया है, जिसने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, शुक्रवार को दिनदहाड़े एक महिला शिक्षक के साथ गांव के दबंग रमेश ने छेड़छाड़ और जान से मारने की कोशिश की। इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि दबंग को कथित तौर पर बचाने के लिए स्कूल की महिला प्रिंसिपल सामने आईं। महिला टीचर को जबरन रमेश के पास फार्म में हस्ताक्षर के लिए भेजा गया, जबकि स्कूल में कई अन्य महिला शिक्षिकाएं भी मौजूद थीं, जिन्होंने इस कार्य का विरोध किया।
विरोध के बाद प्रिंसिपल ने धमकाते हुए कहा, “यहां मेरा कानून चलता है, जो मैं कहूंगी वही करना पड़ेगा।” जब इस पूरे मामले पर बीईओ (खंड शिक्षा अधिकारी) से बात की गई, तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि ऐसा कोई आदेश न तो उन्होंने दिया है और न ही ऐसा कोई नियम है। बीईओ ने इसे प्रिंसिपल की व्यक्तिगत मनमानी करार दिया।
स्थानीय ग्रामीणों और स्कूल के अन्य शिक्षकों ने भी बताया कि वे काफी समय से इस प्रिंसिपल की कार्यशैली से परेशान हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।
व्यवस्था पर सवाल: यह मामला केवल एक स्कूल तक सीमित नहीं है। जिले के खागा, हदगांव, हुसैनगंज, तेलियानी, बिटोरा और अमोली ब्लॉक के कई सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की लापरवाही और अधिकारियों की निष्क्रियता सामने आ चुकी है। सूत्रों के अनुसार, कई शिक्षक महीने में महज 10 दिन ही स्कूल आते हैं, लेकिन उच्च अधिकारी आंखें मूंदे हुए हैं।
अब सवाल यह उठता है कि—
क्या महिला प्रिंसिपल और दबंग रमेश के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई होगी?
रिपोर्ट
: करम मोहम्मद, सह संपादक, इंडिपेंडेंट इंडिया