

पपरेन्दा, बांदा | विशेष रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश सरकार हर वर्ष करोड़ों रुपये गौसंरक्षण के नाम पर खर्च करती है, लेकिन बांदा जनपद की हकीकत इससे बिलकुल विपरीत है। जिले की अधिकांश गौशालाएं अब गौवंश संरक्षण की जगह मौत के अड्डे बन चुकी हैं। पपरेन्दा स्थित भूरेडी गौशाला में जहां गोवंशों की सेवा होनी चाहिए थी, वहां अब भैंसों को पाला जा रहा है — और गायों को गर्मी में सड़कों पर मरने के लिए छोड़ दिया गया है।
गंभीर प्रशासनिक लापरवाही का आलम यह है कि जिले की लगभग हर गौशाला से गोवंशों को 47-48 डिग्री की जानलेवा गर्मी में बाहर निकाल दिया गया है। ये बेसहारा मवेशी भूख-प्यास और लू की मार से तड़पकर दम तोड़ रहे हैं। हमारी प्रेस टीम ने जब धुरेणी और त्रिवेणी गौशालाओं का दौरा किया, तो वहां मृत गोवंशों के कंकाल बिखरे मिले। यह मंजर न केवल दर्दनाक था, बल्कि गौसंरक्षण के नाम पर चल रहे प्रशासनिक मजाक की पोल भी खोलता है।
गौरक्षा समिति, विश्व हिंदू महासंघ के जिला अध्यक्ष महेश प्रजापति और उपाध्यक्ष महेश धूरिय ने इस अमानवीयता पर गहरा रोष प्रकट करते हुए कहा,
“गौशालाओं को चारा, पानी और देखभाल के नाम पर करोड़ों रुपये मिलते हैं। लेकिन अगर गोवंशों को ही बाहर निकालकर मरने के लिए छोड़ दिया जाए, तो यह गौसंरक्षण नहीं, धोखा है। इसके पीछे कौन जिम्मेदार है? यह जांच का विषय है और दोषियों पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए।”
धुरेणी गौशाला के केयरटेकर गुरु प्रसाद ने कहा, “हमें नहीं पता कि गौवंशों को बाहर निकालने का आदेश किसका था, ग्राम प्रधान या विकास अधिकारी ही बता सकते हैं।” यह जवाब स्पष्ट रूप से प्रशासनिक जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने का प्रमाण है।
गौशालाओं में न चारे की व्यवस्था है, न पानी की, और न ही छाया की। कई गौशालाएं तो केवल कागज़ी दस्तावेजों में ही मौजूद हैं — हकीकत में वे गौवंशों के कब्रिस्तान बन चुकी हैं।
स्थानीय गौभक्तों और नागरिकों में भारी आक्रोश है। वे मांग कर रहे हैं कि दोषियों को तत्काल निलंबित कर उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया जाए। इसके साथ ही सभी गौशालाओं में तत्काल चारा-पानी और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
यदि प्रशासन ने शीघ्र और कठोर कदम नहीं उठाए, तो जनाक्रोश भड़क सकता है और जनांदोलन की स्थिति बन सकती है। यह मामला न केवल गौसंरक्षण के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार और संवेदनहीनता को उजागर करता है, बल्कि सरकार की कथनी और करनी में अंतर को भी सामने लाता है।
रिपोर्ट
अनुपम गुप्ता जिला संवाददाता बांदा