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#उझानी के मेंथा प्लांट में लगी भयंकर आग को बुझाए छह दिन हो चुके हैं। आग की लपटें शांत हो गईं, लेकिन एक परिवार की चीखें अब भी आसमान चीर रही हैं। मुनेंद्र यादव – वो शख्स जो उस दिन से लापता हैं, जब ये हादसा हुआ।
छह दिन बीत गए, मगर न कोई सुराग, न कोई खबर। परिवार थक गया है, पर उम्मीद नहीं टूटी। मुनेंद्र की पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। उसकी दो मासूम बेटियां हर पल दरवाजे की ओर टकटकी लगाए देखती हैं – शायद पापा लौट आएं। और एक मां, जिसकी आंखें अपने बेटे के इंतज़ार में सूख चुकी हैं
प्रशासन दावा करता है कि कोई जनहानि नहीं हुई। फिर मुनेंद्र यादव कहां हैं? क्या वो अदृश्य हो गए? क्या एक इंसान की ज़िंदगी इतनी सस्ती हो गई है क्या शासन और प्रशासन इतना बेरहम होगा कि दो मासूम बेटियों, माँ और पत्नी की मायूसी नहीं दिखती?
मुनेंद्र यादव को ढूंढना अब एक ज़िम्मेदारी है, एक कर्तव्य है।
प्रशासन को अब चुप्पी तोड़नी होगी। सिर्फ जवाब नहीं, कार्यवाही चाहिए। हालांकि पुलिस ने परिजनों की तहरीर पर गुमशुदगी दर्ज कर ली है।
हम सब पूछ रहे हैं – मुनेंद्र यादव कहां हैं?
जब तक जवाब नहीं मिलता, ये सवाल गूंजता रहेगा।
मोती राम रिपोर्टर
मीरगंज बरेली