
6 जून, 1993 को राम जेठमलानी ने मुंबई के प्रेस कॉन्फ़्रेन्स में जब यह आरोप लगाया, तो उनके साथ सफ़ेद शर्ट में हर्षद मेहता बैठे थे।
हर्षद मेहता ने एक ख़ाकी रंग के बड़े सूट्केस को दिखाते हुए कहा, “हम इस सूट्केस में 67 लाख रुपए लेकर प्रधानमंत्री आवास गए और उनके निजी सचिव राम खांडेकर को दिए। अगले दिन बाक़ी के 33 लाख भी पहुँचा दिए गए”
पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री पर इस तरह रिश्वत लेने का आरोप लगा था। कुछ ही महीनों पहले मुंबई ने बाबरी मस्जिद कांड के बाद बम के धमाके झेले थे, और अब यह धमाका पूरे देश को हिला गया था। अगले ही महीने नरसिम्हा राव सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, जिसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा के मतों की वजह से नरसिम्हा राव की सरकार बच गयी। बाद में यह सिद्ध हुआ कि इन सांसदों को रिश्वत दी गयी थी।
जब प्रधानमंत्री पर यह आरोप लगे थे, तो उन्होंने कहा था, “मैं इस अग्नि-परीक्षा से उसी तरह बाहर आऊँगा, जैसे माता सीता आयी थी”
इस मध्य उनके 7, रेस कोर्स आवास पर एक व्यक्ति उनसे मिलने आए। चेहरे पर पड़ी झुर्रियों और पके हुए बालों से वह साठ वर्ष से ऊपर की उम्र के लग रहे थे। सफ़ेद धोती-कुर्ता, पैरों में चप्पल और गांधी टोपी पहने वह व्यक्ति सीधे प्रधानमंत्री के कमरे में पहुँच गए। ज़ाहिर है, वह प्रधानमंत्री के निकट सम्पर्क के व्यक्ति होंगे, तभी इतनी अकड़ से दाखिल हो गए।
अंदर जाकर उन्होंने कुछ ज़रूरी बातें की। फिर अचानक प्रधानमंत्री से कहा, “राव साहब! क्या आपने एक करोड़ रुपया लिया था?”
यह सवाल सुन कर प्रधानमंत्री सन्न रहे गए। ऐसे सवाल पत्रकारों ने भी पूछे थे, लेकिन यह आवाज़ जैसे उन्हें हिला कर रख गयी।
उन्होंने कहा, “क्या आप भी ऐसा सोचते हैं?”
यह सवाल करने वाले न कोई पत्रकार थे, न सांसद, न ही कोई पूँजीपति। वह एक किसान थे, जो अपनी तनी हुई पीठ के साथ देश के प्रधानमंत्री से सवाल कर रहे थे। उनका नाम था महेंद्र सिंह टिकैत!
वह इतने पर नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा, “यह हर्षद मेहता 5000 करोड़ का घपला कर के बैठा है, कई मंत्री घपला कर के बैठे हैं, और सरकार उनसे वसूली नहीं कर पा रही। लेकिन किसानों को 200 रुपए वसूली के लिए जेल भेजा जा रहा है?”
मोतीराम वर्मा की कलम से