

हरीश कुमार गौतम, जिला ब्यूरो चीफ, बरेली
बरेली।
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार भले ही “बेहतर सड़कों” का दावा कर रही हो, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। देवरनिया से गुनाह हट्टू, कमालपुर तक की लोकल सड़क की हालत यह साबित करने के लिए काफी है कि जिम्मेदार विभाग अब भी गहरी नींद में हैं।
करीब चार किलोमीटर लंबी यह सड़क पीडब्ल्यूडी विभाग के अधीन आती है लेकिन तीन अलग-अलग हिस्सों में विभाजित होने के कारण इसका संपूर्ण मरम्मत कार्य कभी एकसाथ नहीं होता।
पहला हिस्सा धर्मपुर गांव से पहले, जो दमखोदा विकासखंड के अंतर्गत आता है।
दूसरा हिस्सा धर्मपुर से गुनाह हट्टू व कमालपुर शुमाली, जो शेरगढ़ विकासखंड में आता है।
तीसरा हिस्सा गन्ना सुखसाय डी सेमीखेड़ा चीनी मिल मार्ग से जुड़ा हुआ है।
हर बार अलग-अलग विभाग और संस्थाएं थोड़ा-थोड़ा निर्माण कार्य कराकर पल्ला झाड़ लेती हैं।
जब यह सड़क बदहाल हो जाती है, तब मीडिया की आवाज़ उठने पर ही अधिकारियों की नींद खुलती है।
पीडब्ल्यूडी विभाग में भ्रष्टाचार की बू
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पीडब्ल्यूडी विभाग ठेका देने से पहले ही “हिस्सा” ले लेता है, जिसके बाद ठेकेदार बचत के चक्कर में घटिया सामग्री से सड़क निर्माण करता है। नतीजतन सड़क कुछ महीनों में ही उखड़ने लगती है।
कमालपुर शिव मंदिर से गुनाह हट्टू तक बनी सड़क महज दो साल में ही खस्ताहाल हो चुकी है।
वहीं देवरनिया से मात्र आधा किलोमीटर दूर स्थित एक पुलिया जर्जर हालत में है, जहां दोनों तरफ लाल झंडियाँ लगाकर खतरे का संकेत भर दे दिया गया है, लेकिन मरम्मत की कोई सुध नहीं ली जा रही।
क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की बेहतर सड़क योजना का यही हाल है?”
क्या कोई बड़ी दुर्घटना होने के बाद ही यह पुलिया और सड़क मरम्मत के योग्य मानी जाएगी?”
मैं, हरीश कुमार गौतम, जिला ब्यूरो चीफ – बरेली, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से पूछना चाहता हूँ कि
किसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा यदि इस बदहाल पुलिया से किसी नागरिक की जान चली जाए?
साथ ही अपने लोकसभा सांसद श्री छत्रपाल गंगवार जी से आग्रह करता हूँ कि
जनहित की इस गंभीर समस्या को संसद में उठाएं और पीडब्ल्यूडी की लापरवाही पर सवाल पूछें।
सड़कें विकास का मार्ग होती हैं, लेकिन बरेली में ये सड़कें अब मौत का फंदा बन चुकी हैं।