

नई दिल्ली | भारत मंडपम—प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को NXT कॉन्क्लेव 2025 में देश की कानूनी व्यवस्था पर बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने 150 साल पहले जो कानून बनाए थे, उनमें से कई स्वतंत्रता के 75 साल बाद भी लागू रहे। उन्होंने इस पर जोर देते हुए कहा कि उनकी सरकार औपनिवेशिक मानसिकता से छुटकारा दिलाने और कानूनों को भारतीय परिप्रेक्ष्य में ढालने का प्रयास कर रही है।
ब्रिटिश कानूनों से मुक्त हो रहा भारत
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने 1833 के भारतीय दंड संहिता (IPC), 1898 के आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) और 1872 के साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) जैसे पुराने अंग्रेजी कानूनों को खत्म कर नए भारतीय न्याय संहिताओं को लागू किया है। उन्होंने इसे “न्याय व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव” बताया।
2030 तक कानूनी सुधारों का लक्ष्य
मोदी ने बताया कि उनकी सरकार 2030 तक एक आधुनिक, पारदर्शी और तेज़ न्यायिक प्रणाली बनाने पर काम कर रही है। उन्होंने कहा,
“आजादी के बाद दशकों तक वही कानून चलाए जाते रहे, जो भारत को गुलाम बनाए रखने के लिए बने थे। हमने इन्हें हटाकर न्यायिक प्रक्रिया को भारतीय मूल्यों और जरूरतों के अनुरूप बनाया है।”
डिजिटल न्याय प्रणाली की ओर कदम
प्रधानमंत्री ने न्यायिक प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में ई-कोर्ट, ऑनलाइन FIR और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों का उपयोग बढ़ाया जाएगा, जिससे आम जनता को न्याय मिलने में तेजी आएगी।
क्यों महत्वपूर्ण हैं ये बदलाव?
ब्रिटिश काल के कानूनों से मुक्ति
अपराध और न्याय प्रणाली में सुधार
न्यायिक प्रक्रिया को तेज़ और पारदर्शी बनाना
डिजिटल तकनीकों का उपयोग
NXT कॉन्क्लेव 2025 में प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने इन बदलावों को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं। वहीं, कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि ये सुधार देश की न्यायिक व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं।