

नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित नए इनकम टैक्स बिल में कर अधिकारियों को पहले से अधिक शक्तियां मिलने जा रही हैं। अब आयकर विभाग टैक्स चोरी की जांच के दौरान टैक्सपेयर्स के सोशल मीडिया अकाउंट्स, ईमेल और अन्य डिजिटल एसेट्स की भी जांच कर सकेगा।
क्या कहता है नया प्रावधान?
मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत अधिकारियों को केवल बैंक अकाउंट्स और अन्य वित्तीय दस्तावेजों की जांच करने और संपत्ति जब्त करने का अधिकार है। लेकिन नए इनकम टैक्स बिल में एक नया प्रावधान जोड़ा गया है, जिसके तहत अगर किसी करदाता पर टैक्स चोरी का संदेह होता है, तो अधिकारी फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, व्हाट्सएप और ईमेल जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स तक पहुंच बना सकते हैं।
क्यों लिया गया यह फैसला?
सरकार के अनुसार, डिजिटल लेन-देन और सोशल मीडिया पर दिखावे की संस्कृति को देखते हुए यह बदलाव जरूरी था। कई मामलों में लोग सोशल मीडिया पर महंगी गाड़ियों, विदेश यात्राओं और आलीशान जीवनशैली का प्रदर्शन तो करते हैं, लेकिन उनकी घोषित आय इससे मेल नहीं खाती। ऐसे में टैक्स चोरी पकड़ने के लिए डिजिटल जांच को जरूरी माना गया है।
क्या होगा आम नागरिकों पर असर?
1. बढ़ेगी टैक्स अधिकारियों की ताकत: अधिकारियों को आपके डिजिटल डेटा तक पहुंचने का कानूनी अधिकार मिलेगा।
2. गोपनीयता पर सवाल: व्यक्तिगत चैट और सोशल मीडिया गतिविधियों की निगरानी से निजता का हनन हो सकता है।
3. गलत जांच का खतरा: अगर किसी को गलत तरीके से जांच में घसीटा गया तो उसे व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग की चिंता हो सकती है।
क्या कह रहे विशेषज्ञ?
टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि यह कानून टैक्स चोरी रोकने के लिए कारगर हो सकता है, लेकिन इसके साथ ही सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि किसी करदाता के निजी डेटा का दुरुपयोग न हो।
अगला कदम क्या?
यह नया इनकम टैक्स बिल संसद में चर्चा के बाद पारित किया जाएगा। अगर यह कानून बनता है, तो भारत के टैक्स कानूनों में सबसे बड़ा डिजिटल हस्तक्षेप होगा।