

केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि केवल इस आधार पर कि शिकायतकर्ता महिला है, उसके हर बयान को पूर्ण सत्य नहीं माना जा सकता। अदालत ने यह टिप्पणी एक आपराधिक मामले की सुनवाई के दौरान की, जिसमें याचिकाकर्ता ने आरोपों को झूठा और दुर्भावनापूर्ण बताया था।
क्या कहा कोर्ट ने?
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी मामले में निष्पक्ष जांच और साक्ष्यों का समुचित मूल्यांकन आवश्यक है। अदालत ने कहा कि कानून का उद्देश्य सभी को न्याय दिलाना है, न कि केवल एक पक्ष का समर्थन करना।
फैसले का प्रभाव
इस आदेश से झूठे आरोपों के मामलों में निष्पक्षता सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है। साथ ही, यह फैसला न्यायिक प्रक्रिया में संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
मामले की पृष्ठभूमि
इस मामले में एक पुरुष आरोपी ने अदालत में याचिका दायर कर दावा किया था कि महिला शिकायतकर्ता के आरोप झूठे और दुर्भावनापूर्ण हैं। सुनवाई के दौरान अदालत ने यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की और कहा कि प्रत्येक मामले को तथ्यों के आधार पर जांचा जाना चाहिए।