
शाही बरेली
ओमवीर सिंह
छत्रपति शाहूजी महाराज से जुड़े कुछ तथ्य:
छत्रपति शाहू महाराज के कार्यों से उनके विरोधी भयभीत थे और उन्हें जान से मारने की धमकियाँ दे रहे थे। इस पर उन्होंने कहा था कि- “वे गद्दी छोड़ सकते हैं, मगर सामाजिक प्रतिबद्धता के कार्यों से वे पीछे नहीं हट सकते।”
शाहू महाराज जी ने 15 जनवरी, 1919 के अपने आदेश में कहा था कि- “उनके राज्य के किसी भी कार्यालय और गाँव पंचायतों में भी अछूत एवं पिछड़ी जातियों के साथ समानता का बर्ताव हो, यह सुनिश्चित किया जाये। उनका स्पष्ट कहना था कि- “छुआछूत को बर्दास्त नहीं किया जायेगा। उच्च जातियों को अनुसूचित जाति के लोगों के साथ मानवीय व्यवहार करना होगा। जब तक आदमी को आदमी नहीं समझा जायेगा, समाज का चौतरफा विकास असम्भव है।”
15 अप्रैल, 1920 को नासिक में ‘उदोजी विद्यार्थी’ छात्रावास की नीव का पत्थर रखते हुए शाहू महाराज ने कहा था कि- “जातिवाद का अंत ज़रूरी है. जाति को समर्थन देना अपराध है। हमारे समाज की उन्नति में सबसे बड़ी बाधा जाति है। जाति आधारित संगठनों के निहित स्वार्थ होते हैं। निश्चित रूप से ऐसे संगठनों को अपनी शक्ति का उपयोग जातियों को मजबूत करने के बजाय इनके खात्मे में करना चाहिए|”
लोकराजा राजर्षि छत्रपती शाहू महाराज जी के 151 वें जन्म जयंती के अवसर पर सभी देशबासियों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाइयां।