
– एक्सपायर कीडे युक्त सडा पोषाहार का किया वितरण
बबेरू।सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों पर बाल विकास परियोजना विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं तथा बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए पोषाहार वितरण के लिए भेजा जाता है लेकिन बाल विकास परियोजना के अधिकारीयों व केंद्र संचालिका की लापरवाही से पोषाहार वितरण में इस्पायरी डेट का सडा गला राशन देकर बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि तस्बीरें सच्चाई बयां करने के लिए काफी है।आंगनबाड़ी केंद्रों में गर्भवती महिलाओं व बच्चों की सेहत का किस तरह ख्याल रखा जा रहा है इसकी हकीकत की पोल खुद ग्रामवासी खोल रहे हैं।आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को रोगों से बचाने के लिए पोषाहार दिया जाता है लेकिन वही पोषाहार उनके लिए जानलेवा से कम नहीं है।
बालविकास परियोजना कार्यालय कमासिन के अंतर्गत आने वाले मवई गांव के मजरा डिघौरा के आंगनबाड़ी केंद्र में इस्पायरी डेट के दो साल पुराने सडा गला कीडे युक्त पोषाहार का वितरण बच्चों को किया गया और उस पोषाहार को खाने से बच्चों की तवियत बिगड गयी।वितरण किये गये पोषाहार दाल और दलिया मे कीडे बजबजा रहे थे।लेकिन इसके बाद भी पोषाहार का वितरण कर बच्चों की जान जोखिम में डाली गयी।इतना ही नही यहां के लोगों का कहना है कि पहले तो राशन वितरण में कटौती की जाती है आधा अधूरा पोषाहार दिया जाता है और जो बांटा भी जाता है वह भी सडा गला। वहीं शिकायतकर्ता कमल ने बताया कि इस मामले की शिकायत जनसुनवाई पोर्टल मे की गयी लेकिन लगभग एक हफ्ते से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी अभी तक किसी प्रकार की न कोई जांच न कार्यवाही हुई है।वहीं कुछ महिलाओं ने नाम छापने से यह कहते हुए मना कर दिया कि क्या होगा शिकायत करने से कुछ होना है नहीं बुराई होगी जो थोडा बहुत मिल रहा है वह भी न बंद हो जाये नहीं कीडे तो हमारी दलिया मे भी है राशन मे कटौती भी होती है लेकिन क्या करें।वहीं देखा जाये तो कमासिन क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्रों में राशन वितरण में गडबडी का यह कोई पहला मामला नही है।इसके पहले भी कई मामले सामने आये हैं और उसकी शिकायत भी सीडीपीओ रामप्रकाश से की गयी लेकिन इसके बावजूद केंदों में पोषाहार वितरण में अनियमितता कम होने का नाम नहीं ले रही है।इससे कहीं न कहीं विभागीय अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
रिपोर्ट
शिवम सिंह ब्यूरो चीफ बांदा