
शाही बरेली
ओमवीर सिंह रिपोर्टर
वृक्षारोपण का अर्थ होता है पेड़ लगाना हर साल वृक्षारोपण पर अधिकारियों का जोर रहता है। पेड़ लगाने के बाद उनकी देखभाल की जिम्मेदारी किसकी है?
प्रत्येक बर्ष कागजों में पेड़ लगाने का कार्यक्रम जोर शोर से होता है उसके बाद लगाए गए पेड़ों के बारे में जिम्मेदार लोग भूल जाते हैं। किसी ने आज तक जानने जहमत नहीं उठाई कि इतनी संख्या में पेड़ लगे उनमें से तैयार कितने हुए। यदि जिले भर लगाए गए पेड़ों का दस प्रतिशत भी तैयार हो जाएं तो जिला कुछ ही बर्षों में क्षेत्र हरा-भरा हो जाएगा।हर साल वृक्षारोपण के समय हाथ में पेड़ लेकर फोटो खिंचवाने के बाद कागजों का पेट भर दिया जाता है। वृक्षारोपण के नाम पर आया विभिन्न मदों से रुपए का बंदरबांट पंचायत,ब्लाक, जिला स्तरीय अधिकारियों कर्मचारियों के बीच में होता है। वृक्षारोपण पर जितना फोकस होता है उसके आधा भी देख भाल पर हो जाए तो धरती को हरी-भरी होने कोई रोक नहीं सकता। मीरगंज ब्लाक की सभी पंचायतों की ईमानदारी से जांच हो पिछले कई वर्षों से जो पेड़ लगे हैं उनमें से कितने बचे हैं तो बामुश्किल १% भी नहीं मिलेंगे।
इस तरह के वृक्षारोपण से पर्यावरण व आम जनमानस को कोई फायदा नहीं होने बाला है जब तक लगे पेड़ों की समुचित देखभाल न हो। जिम्मेदार पेड़ लगाने फोटो खिंचवाकर डालने का औचित्य नहीं है यह सिर्फ एक दिखावा साबित होता है।
मेरे विचार से पेड़ चाहे कम लगे परन्तु उनकी देखभाल कर तैयार करने पर भी इतना ही जोर सरकार को देना चाहिए ।अन्य लोगों को सेल्फी लेकर कागज़ों में रिकार्ड बनाकर इतिश्री करने से काम नहीं चलेगा