
बीजिंग/वॉशिंगटन – चीन और अमेरिका के बीच चल रही व्यापारिक तनातनी एक बार फिर गंभीर मोड़ पर पहुंच गई है। बुधवार को चीन ने अमेरिका से आयातित वस्तुओं पर 84 प्रतिशत तक का भारी-भरकम टैरिफ लगा दिया। यह फैसला अमेरिका द्वारा चीनी सामानों पर कुल 104% शुल्क थोपे जाने के जवाब में लिया गया है।
चीन के वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अमेरिका को “अपने गलत कदम तुरंत वापस लेने चाहिए” और दोनों देशों को “बराबरी और आपसी सम्मान” के आधार पर बातचीत करनी चाहिए।
वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रूथसोशल’ पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, “मैं बीजिंग की कॉल का इंतज़ार कर रहा हूं।”
वैश्विक बाज़ारों में असर
टैरिफ युद्ध की इस ताज़ा कड़ी का असर वैश्विक आर्थिक परिदृश्य पर भी साफ देखा गया। अमेरिकी शेयर बाज़ारों में गिरावट दर्ज की गई—S&P 500 और Dow Futures में गिरावट आई, जबकि यूरोपीय बाज़ार भी लुढ़क गए। निवेशकों में अस्थिरता और अनिश्चितता का माहौल गहराता दिख रहा है।
दोनों देशों की सख्त मुद्रा
चीन ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह “आखिरी दम तक” इस लड़ाई को लड़ेगा। दूसरी ओर, व्हाइट हाउस से जुड़े अधिकारियों ने संकेत दिया है कि अगर चीन वार्ता के लिए आगे बढ़ता है, तो राष्ट्रपति ट्रंप सौहार्द्रपूर्ण रुख अपनाएंगे, लेकिन अमेरिकी हितों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
विशेषज्ञों की चेतावनी
ट्रेड एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह टकराव अब लंबी खिंच सकता है। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए निकट भविष्य में किसी समझौते की संभावना बहुत कम नजर आ रही है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि इसका असर केवल इन दो देशों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन और निवेश माहौल पर भी गंभीर प्रभाव डालेगा।
संवाददाता अंकित कुमार की रिपोर्ट