
अमौली फतेहपुर
चैत्र पूर्णिमा के पावन अवसर पर अमौली में वार्षिक जवारा मेला का आयोजन धूमधाम से किया गया। यह मेला हर वर्ष की भांति इस बार भी काली मां की पूजा और उपासना के साथ मनाया गया, जिसमें भक्तों की अपार श्रद्धा और उत्साह देखने को मिला। मेले के दौरान काली मां का रथ संपूर्ण नगर में भ्रमण किया गया, जिसने स्थानीय परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत कर दिया।
जवारा मेला की शुरुआत अमौली के बड़े तालाब के पास से हुई, जहां भक्तों ने लोहे की सॉन्ग मुंह में लेकर माता की पूजा-अर्चना की। इसके पश्चात शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रदर्शन और देवी गीतों की प्रस्तुतियां हुईं। लोक परंपरा के अनुसार आयोजित ये गीत और नृत्य वर्षों से चली आ रही परंपरा का हिस्सा हैं, जो अमोली की सांस्कृतिक पहचान को दर्शाते हैं।
मेला के सफल आयोजन के पीछे स्थानीय समुदाय के प्रयास और समर्पण की अहम भूमिका रही। मुख्य आयोजकों में बड़कू सिंह, बड़कऊ दुबे, रवि ओमर, राजेश सैनी, सुनील, मिजाजी, राजेश, महेश, कल्लन, गजराज, गणेश सहित कई अन्य कार्यकर्ताओं ने व्यवस्थाओं को सुचारु रूप से संचालित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। शोभायात्रा के मार्ग में जगह-जगह स्वागत और श्रद्धालुओं के लिए जलपान की व्यवस्था की गई। विशेष रूप से अमौली बस स्टॉप पर आनंद शिवहरे और विनोद तिवारी एवं बड़े तालाब के पास हरपाल सिंह एवं कोमल ने श्रद्धालुओं की सेवा के लिए प्रशंसनीय प्रयास किए।
मेला का समापन बड़े तालाब के पास हुआ, जहां भक्तों ने माता की कृपा के लिए प्रार्थना की और कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर स्थानीय लोगों ने अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने और भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने की प्रतिज्ञा ली।
जवारा मेला न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह अमौली की एकता, भाईचारे और सांस्कृतिक समृद्धि को भी दर्शाता है। स्थानीय निवासियों और पर्यटकों ने इस मेले को लेकर अपनी खुशी और उत्साह व्यक्त किया, जो वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को और मजबूत करता है।
रीिपोर्ट
सुकेश कुमार जिला ब्यूरो चीफ फतेहपुर