
बरेली (जनकपुरी): श्री हर मिलाप शिव शक्ति मंदिर, जनकपुरी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में द्वितीय दिवस की कथा का वाचन श्रीधाम वृंदावन से पधारे आचार्य श्याम बिहारी चतुर्वेदी ने किया। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा केवल धार्मिक कथा नहीं, बल्कि समस्त जीवों के कल्याण का मार्ग है।
आचार्य चतुर्वेदी ने राजा परीक्षित के जन्म से लेकर तक्षक नाग के डसने तक की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि राजा परीक्षित एक प्रतापी, सेवाभावी और धर्मपरायण शासक थे, जो अपनी प्रजा को अपने परिवार की तरह मानते थे। कथा के दौरान उन्होंने उस मार्मिक प्रसंग का वर्णन किया जब राजा परीक्षित ने गाय और धर्मरूपी बैल पर हो रहे अत्याचार को देखा।
गाय और बैल, जो क्रमशः पृथ्वी और धर्म के प्रतीक हैं, पर कलियुग का अत्याचार देखकर परीक्षित ने क्रोधित होकर कलियुग को चार स्थानों – जुआ, वेश्यावृत्ति, हिंसा और मदिरा सेवन – में वास की अनुमति दी। बाद में कलियुग को अन्यायपूर्वक कमाए गए स्वर्ण में भी स्थान मिला। यह वही स्वर्ण था, जिसके कारण परीक्षित के सिर पर कलियुग का प्रभाव बैठ गया और वे अपने विवेक से भ्रष्ट हो गए।
इसके पश्चात उन्होंने अनजाने में तपस्यारत महर्षि शमीक का अपमान कर दिया, जिससे उनके पुत्र श्रृंगी ने क्रोध में आकर राजा को तक्षक नाग के डसने से सातवें दिन मृत्यु का श्राप दे दिया। यह जानने के बाद राजा परीक्षित ने समस्त सांसारिक बंधनों को त्याग कर सुखताल में शरण ली, जहां श्री शुकदेव जी महाराज ने उन्हें श्रीमद्भागवत कथा का अमृत पान कराया।
श्री शुकदेव जी ने बताया कि केवल श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण ही जीव को भवसागर से पार लगा सकता है। इसलिए प्रत्येक जीव को अपने जीवन में भागवत कथा अवश्य सुननी चाहिए।
इस अवसर पर भजन गायकों – जगदीश भाटिया, दीपक भाटिया, सुनील मिश्रा, अमित, केशव मिश्रा, राजेश, निर्मला देवी, विनोद खंडेलवाल, श्याम दीक्षित – सहित दूर-दराज से बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा श्रवण हेतु उपस्थित हुए।
रिपोर्ट
अमर पाल