
बरेली, जनकपुरी। हर मिलाप शिव शक्ति मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के षष्ठम दिवस पर वृंदावन धाम से पधारे सुप्रसिद्ध कथा वाचक आचार्य श्याम बिहारी चतुर्वेदी ने “धर्मो रक्षति रक्षितः” का गूढ़ भाव श्रोताओं को समझाया। उन्होंने कहा, “यदि हम धर्म की रक्षा करेंगे, तो धर्म हमारी रक्षा अवश्य करेगा।” कथा स्थल भक्तों से खचाखच भरा था, और हर श्रोता भावविभोर होकर दिव्य ज्ञान से आलोकित हो रहा था।
आचार्य जी ने श्रीकृष्ण की कथा का वर्णन करते हुए बताया कि किस प्रकार कंस के अत्याचार से मथुरा वासी त्रस्त थे। धर्म की कमजोरी के चलते कोई भी उस राक्षसी प्रवृत्ति का सामना नहीं कर पा रहा था। तब नारद मुनि भगवान श्रीकृष्ण से मिलने पहुंचे और निवेदन किया कि अब समय आ गया है कि कंस के पापों का अंत हो। भगवान ने आश्वासन दिया कि “परसों कंस का वध होगा”।
आचार्य जी ने विस्तार से बताया कि किस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण और बलराम अक्रूर जी के साथ मथुरा पहुंचे। मार्ग में कपड़ा रंगने वाले राक्षस का वध किया, फिर कुवल्यापीड हाथी को पराजित किया। धनुष यज्ञ तोड़ा, मल्लयुद्ध में पहलवानों को परास्त किया और अंततः रंगशाला में कंस का अंत कर त्रिलोक का भार हल्का किया।
कंस के वध के बाद मथुरा में आनंद की लहर दौड़ गई। भक्तों ने नृत्य और भजन के माध्यम से अपनी खुशी व्यक्त की। इस अवसर पर प्रसिद्ध भजन गायक जगदीश भाटिया द्वारा प्रस्तुत “तेरी बंदगी से पहले मुझे कौन जानता था” भजन ने पूरे वातावरण को भावविभोर कर दिया।
इसके पश्चात रुक्मिणी-कृष्ण विवाह की कथा को भी आचार्य जी ने सुंदर शब्दों में वर्णित किया। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का विवाह तीन पद्धतियों से हुआ—राक्षस, गंधर्व एवं शास्त्र सम्मत पद्धति। विवाह प्रसंग में नृत्य, गायन और वादन ने समस्त वातावरण को उत्सवमय बना दिया।
इस आयोजन में प्रमुख रूप से उपस्थित रहे: सुनील कुमार मिश्रा, कौस्तुभ, अमित, शिल्पा, राजेन्द्र प्रसाद, निशा, अक्षय दीक्षित, शैलेश कुमार पांडेय, मिथिलेश दीक्षित सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु।
रिपोर्ट
अमर पाल