
*जिला जांजगीर-चांपा* — वन्य प्राणियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी जिस विभाग पर है, जब वही विभाग लापरवाही पर उतर आए, तो मासूम जानवरों की जान जोखिम में पड़ जाती है। ताजा मामला चांपा वन मंडल के अंतर्गत आने वाले बाराद्वार के ग्राम ठठारी का है, जहां विभागीय लापरवाही के चलते एक हिरण की जान चली गई।
गर्मी के इस भीषण मौसम में वन्य प्राणी पानी की तलाश में गांवों की ओर भटक आते हैं। ऐसा ही एक निरीह हिरण बुधवार की रात ग्राम ठठारी में पहुंच गया। गांव में अफरा-तफरी मच गई, लेकिन ग्रामीणों ने समझदारी दिखाते हुए हिरण को पकड़कर एक खंभे से बांध दिया और तत्काल इसकी सूचना चांपा वन विभाग को दे दी।
*12 घंटे बाद भी नहीं पहुंची वन विभाग की टीम*
चौंकाने वाली बात यह है कि सूचना मिलने के बावजूद गुरुवार सुबह 9 बजे तक वन विभाग की कोई भी टीम मौके पर नहीं पहुंची। हिरण रातभर खंभे से बंधा रहा, बिना पानी के, डर और घबराहट में… और अंततः उसकी मौत हो गई। यह न सिर्फ विभागीय निष्क्रियता बल्कि संवेदनहीनता का भी उदाहरण है।
*समय पर रेस्क्यू हो सकता था हिरण*
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत यदि कोई वन्य प्राणी इस स्थिति में मिलता है, तो वन विभाग की जिम्मेदारी बनती है कि वह तत्काल मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू टीम भेजे और वन्य प्राणी को सुरक्षित स्थान, जैसे कानन पेंडारी, में शिफ्ट कर उसे चिकित्सकीय सुविधा व देखरेख उपलब्ध कराए। लेकिन यहां चांपा वन विभाग ने इस कर्तव्य का पूरी तरह से उल्लंघन किया।
*प्रशासन से जांच और कार्रवाई की मांग*
यह मामला केवल एक हिरण की मौत तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। यदि विभाग इतनी सुस्त गति से काम करेगा, तो भविष्य में और भी कई वन्य प्राणियों की जान जोखिम में पड़ सकती है। जनप्रतिनिधियों और स्थानीय प्रशासन से मांग की जा रही है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए।
*क्या जवाब देगा वन विभाग?*
*अब देखना यह है कि चांपा* वनमंडलीय अधिकारी इस शर्मनाक लापरवाही पर क्या सफाई देते हैं और क्या ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाया जाएगा या फिर एक और मासूम की जान यूं ही चली जाएगी।