
– मजदूरों के उनके अधिकारों के प्रति किया गया जागरूक
बांदा। गुरूवार को विश्व मजदूर दिवस के मौके संगठित व असंगठित क्षेत्रों में कार्य करने वाले श्रमिकों को प्राप्त निःशुल्क विधिक सहायता के सम्बंध में विधिक जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया।
सर्वप्रथम सुमन शुक्ला पराविधिक स्वयं सेवक, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा अपने सम्बोधन में कहा गया कि श्रमिक वो हर व्यक्ति है जो शारीरिक या मानसिक शक्ति का उपयोग करके किसी कार्य को करते है और उसके लिए वेतन व मजदूरी प्राप्त करते हैं। श्रमिक किसी भी क्षेत्र में काम कर सकता है जैसे कृषि निर्माण,कारखाना वा सेवा क्षेत्र।एक समय था जब श्रमिकों के कार्य की अवधि तय नहीं थी वो 16-16 घण्टे कार्य किया करते थे और उनके परिश्रम के बदले मेहनताना भी कम हुआ करता था।उनके अधिकारों की रक्षा के लिए और उन्हें सम्मान देने के लिए प्रत्येक वर्ष 01 मई को मजदूर दिवस मानने की शुरुआत हुई। इस दिन का उद्देश्य मजदूरों को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करना है। साथ ही उनके योगदान के लिए उन्हें सम्मानित करना हैं। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से गरीब निर्धन व असहाय श्रमिकों को उनके मुकदमों की पैरवी हेतु निःशुल्क अधिवक्ता उपलब्ध कराना है तथा निःशुल्क विधिक राय व अन्य सहायता भी प्राप्त करायी जाती है।एस०के० अग्रहरि सहायक श्रमायुक्त द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि देश में मजदूर दिवस पहली बार सन् 1923 को चेन्नई में मनाया गया था। इसका श्रेय कामगार नेता सिंगारवेलु चेदिटयार को जाता है। जिन्होंने इस दिन को औपचारिक रूप से मान्यता देने की शुरुवात की। इस बात को हम सब जानते हैं कि कोई भी देश तभी प्रगति कर सकता है,जब उसकी नींव मजबूत हो और यह नीव तैयार करते हैं हमारे श्रमिक। चाहे वह सड़कें बनाने वाले हों,भवन निर्माण में लगे लोग हों,खेतों में पसीना बहाने वाले किसान हो. कराखानों में दिन-रात काम करने वाले कर्मचारी हों या फिर छोटे दुकानदार और सफाई कर्मचारी। हर मजदूर अपने-अपने स्तर पर समाज को आगे ले जाने में जुटा हुआ हैं। कभी आपने गौर किया है कि जब आप सुबह उठते हैं तब तक दूध वाला, सफाईकर्मी, अखबार बाला सभी अपना काम कर चुके होते हैं। हम जिन सुविधाओं का उपभोग करते हैं जैसे बिजली, पानी, यातायात, मोजन हर एक के पीछे अनगिनत मजदूरों का परिश्रम छुपा होता है।असित कुमार सिंह, उप श्रमायुक्त चित्रकूटधाम मण्डल अपने सम्बोधन में कहा कि इस दिन सभी क्षेत्रा में काम करने कले श्रमिकों के योगदान को सम्मानित करने और उनके अधिकारों को मान्यता देने का अक्सर हो। यह केवल एक उत्सव नहीं बल्कि श्रमिक अधिकारों,निष्पक्ष श्रम नीतियों और सुरक्षित तथा समान कार्यस्थलों की आवश्यकता को रेखांकित करने का दिन भी हैं। देश में श्रमिकों के प्रमुख श्रम अधिकारों में उचित और समय पर वेतन पाने का अधिकार,सुरक्षित कार्यस्थल का अधिकार, ट्रेड यूनियन बनाने और उसमें शामिल होने का अधिकार,सामाजिक सुरक्षा लाभों का अधिकार व कार्यस्थल पर भेदभाव से सुरक्षा आदि के अधिकार प्रदान करता हैं। श्रमिक अधिकारों को सुदृढ़ करता है। मानवतापूर्ण कार्य प्रष्ट सम्मान कार नौकरी की सुरक्षा की मांग करता है।इस शिविर में दुष्यन्त कुमार एल ईओ के अतिरिक्त अन्य वक्ताओं ने भी अपने अपने विचार रखे। शिविर का संचालन सुनील कुमार द्वारा किया गया। इस अवसर पर सुमन हसीना,रमेश निषाद,नासिर,अवधलाल,योगेश कुमार,अभय प्रताप सिंह व अन्य के साथ राशिद अहमद बीईओ जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उपस्थित रहे।
रिपोर्ट
शिवम सिंह ब्यूरो चीफ बांदा