
फतेहपुर।
जनपद में ओवरलोड ट्रकों का संचालन प्रशासनिक उदासीनता और भ्रष्ट गठजोड़ के चलते निर्बाध रूप से जारी है। शासन के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद खनन और परिवहन विभाग की कार्रवाई केवल कागजों तक सिमटी हुई है। वहीं, पुलिस प्रशासन की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।
रात दस बजे के बाद जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक सड़कों पर दौड़ते ओवरलोड वाहन आम नज़ारा बन चुके हैं। कई थाना क्षेत्रों में गश्त के नाम पर इन ट्रकों की “ऑफ द रिकॉर्ड” जांच होती है, जिसके जरिए अवैध वसूली का खेल खेला जा रहा है।
इंट्री के नाम पर माहवारी वसूली
शासन को इन ओवरलोड ट्रकों से राजस्व भले न मिल रहा हो, लेकिन कुछ अफसर और पुलिसकर्मी अपनी जेबें भरने में व्यस्त हैं। फतेहपुर-गाजीपुर, ललौली-बिदकी, बांदा टांडा हाईवे और खागा के मुख्य मार्गों से प्रतिदिन हजारों ओवरलोड ट्रक गुजरते हैं। ट्रांसपोर्टर, विभागीय अधिकारी और पुलिसकर्मियों के गठजोड़ से न केवल सरकार को राजस्व की भारी क्षति हो रही है, बल्कि आमजन को भी सड़क दुर्घटनाओं का खतरा झेलना पड़ रहा है।
विशेष सूत्रों के अनुसार, जिले में सक्रिय एक दर्जन से अधिक युवाओं का रैकेट ‘इंट्री’ के नाम पर ट्रकों को सुरक्षित पास कराने की सुविधा देता है। इसके एवज में प्रतिमाह मोटी रकम वसूली जाती है। यह नेटवर्क विभागीय अधिकारियों के संरक्षण में कार्य कर रहा है।
शासन के आदेश की उड़ाई जा रही धज्जियाँ
शासन ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि पकड़े गए ओवरलोड वाहनों पर खनिज, एआरटीओ और सेल टैक्स विभाग संयुक्त कार्रवाई करें, लेकिन जिम्मेदार अफसर इस नियम की खुलेआम अवहेलना कर रहे हैं।
लोकेशन माफिया से सेटिंग कर रहा ‘कारख़ास नेटवर्क’
सूत्रों के अनुसार, खनिज परिवहन से संबंधित थानों में तैनात कुछ ‘कारख़ास’ सिपाही लोकेशन गैंग के साथ मिलकर पूरे इंट्री सिस्टम को नियंत्रित कर रहे हैं। यह नेटवर्क न केवल ट्रकों को सुरक्षित पार कराता है, बल्कि वसूली की पूरी श्रृंखला को व्यवस्थित रूप से संचालित करता है।
न कोई कार्रवाई, न जवाबदेही
इस अवैध तंत्र के विरुद्ध अब तक कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई है। अगर प्रशासन और शासन स्तर पर कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो यह व्यवस्था न केवल भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगी, बल्कि सड़क सुरक्षा और राजस्व व्यवस्था को भी गहरा नुकसान पहुँचाएगी।
रिपोर्ट
अंकित कुमार संवाददाता फतेहपुर