
फतेहपुर – “सीने की चौड़ाई और जुबान की लंबाई से देश नहीं चलता, देश चलता है दिमाग की गहराई से… दिल की सफाई से।” यह वाक्य न केवल राजनीति की मौजूदा दिशा पर सवाल खड़े करता है, बल्कि एक नई सोच को भी जन्म देता है—एक ऐसी सोच जो नेतृत्व को शक्ति और वाकपटुता से नहीं, बल्कि बुद्धिमत्ता और नैतिकता से परिभाषित करती है।
देश की मौजूदा राजनीति में जहां तीखे भाषण और दिखावे की ताकत को नेतृत्व की कसौटी माना जा रहा है, वहीं यह विचार बताता है कि सच्चे नेतृत्व के लिए जरूरी है स्पष्ट सोच, करुणा, और सामाजिक जिम्मेदारी। आज ज़रूरत है ऐसे नेतृत्व की जो नफरत नहीं, संवाद और समाधान को प्राथमिकता दे।
इतिहास गवाह है कि गांधी, लिंकन और मंडेला जैसे नेताओं ने बिना उग्रता के भी दुनिया को दिशा दी। उन्होंने दिखाया कि नेतृत्व के लिए न तो ऊँची आवाज चाहिए, न ही भय फैलाना—बल्कि गहरी सोच और साफ नीयत ही समाज का मार्गदर्शन कर सकती है।
फतेहपुर सहित देश भर में जब राजनीति और समाज ध्रुवीकरण की ओर बढ़ रहे हैं, ऐसे में यह विचार और भी प्रासंगिक हो जाता है। यह समय है कि हम सब मिलकर नेतृत्व के मूल्यों को पुनः परिभाषित करें, और ऐसे प्रतिनिधियों का चयन करें जो केवल बोलने में नहीं, सोचने और समझने में भी अग्रणी हों।
अंत में सवाल यह है: क्या हम खुद तैयार हैं नेतृत्व के इस नए पैमाने को अपनाने के लिए?अमनदीप सचान, फतेहपुर से।