
कालपी (जालौन)। यमुना नदी के तटवर्ती क्षेत्र कालपी में इन दिनों अवैध रेत खनन (जिसे स्थानीय लोग ‘लाल सोना’ कहते हैं) जोरों पर है। हमीरपुर और जालौन जिलों के सीमावर्ती इलाकों में खनन माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि प्रशासनिक कार्रवाई का भी भय नहीं दिखता।
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, रात-दिन बड़ी संख्या में ट्रक और डंपर यमुना किनारे पहुंचते हैं और नदी से अवैध रूप से रेत निकालकर आसपास के इलाकों में सप्लाई कर रहे हैं। यह सब कुछ पुलिस और प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है, जिससे सरकारी राजस्व को करोड़ों रुपये की हानि हो रही है।
प्राकृतिक संसाधनों का दोहन
अवैध खनन से यमुना नदी की पारिस्थितिकी पर गहरा असर पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार हो रहे रेत खनन से नदी की गहराई और दिशा में बदलाव हो रहा है, जिससे भविष्य में बाढ़ और कटान जैसी आपदाओं का खतरा और अधिक बढ़ सकता है।
ग्रामीणों में आक्रोश
नदी किनारे बसे गांवों के लोग ट्रकों की लगातार आवाजाही, धूल-धुएं और खनन माफियाओं की दबंगई से परेशान हैं। कुछ लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि विरोध करने पर धमकियां मिलती हैं, जिससे कोई भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं होता।
प्रशासनिक चुप्पी पर सवाल
सबसे गंभीर सवाल यह है कि इतने बड़े पैमाने पर हो रहे अवैध खनन की जानकारी प्रशासन को क्यों नहीं है? या फिर मिलीभगत के चलते कार्यवाही नहीं हो रही? लोगों की मांग है कि उच्च स्तर से जांच हो और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।