


बिलाईगढ़ (जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़): छत्तीसगढ़ शासन द्वारा चलाए जा रहे “सुशासन तिहार” अभियान का उद्देश्य भले ही जनता की समस्याओं का त्वरित समाधान हो, लेकिन नगर पंचायत बिलाईगढ़ में इसका मज़ाक बनकर रह गया है। समाजसेवी अरुण ग्रेवाल द्वारा दी गई जनहित की शिकायतों पर सीएमओ द्वारा दी गई प्रतिक्रियाएं न केवल भ्रामक हैं, बल्कि धरातल से पूरी तरह कटे हुए प्रतीत होते हैं।
1. सूख चुके बोरिंग को बताया ‘सूखा घोषित’ – बिना मशीन लगाए निराकरण:
जहां जल संकट के चलते स्थानीय नागरिक बोरिंग की मांग कर रहे थे, वहां सीएमओ ने यह कहकर आवेदन खारिज कर दिया कि क्षेत्र ‘सूखा घोषित’ है। जबकि हकीकत यह है कि न तो बोरिंग हुई और न ही मशीन भेजी गई।
2. स्ट्रीट लाइट की मांग पर ‘ईपीएफ’ का जवाब:
वार्ड 10 के सारथीपारा में स्ट्रीट लाइट की मांग पर जवाब में सीएमओ ने विषय से असंबंधित ‘ईपीएफ’ और प्लेसमेंट कर्मचारियों का हवाला देते हुए आवेदन खारिज कर दिया, जो भ्रामक और ग़ैर-जिम्मेदाराना रवैये को दर्शाता है।
3. तालाब मरम्मत को बताया ‘अनुपयोगी’:
बंबुरहा तालाब की पचरी मरम्मत की मांग पर CMO का जवाब आया – “यह उपयोगी नहीं है।” यह जवाब ना सिर्फ़ अमानवीय है, बल्कि स्थानीय लोगों की मूलभूत आवश्यकताओं की अनदेखी का स्पष्ट उदाहरण है।
4. ‘शिविर’ में अधिकारी नदारद, कैमरों में कैद हुई निष्क्रियता:
8 से 11 अप्रैल 2025 के बीच लगाए गए शिविर में कोई अधिकारी उपस्थित नहीं रहा, सिर्फ दो प्लेसमेंट कर्मचारियों के भरोसे पूरा कार्यक्रम छोड़ दिया गया। सीसीटीवी फुटेज इसकी पुष्टि करता है।
5. RTI आवेदनों को भी किया नजरअंदाज़:
RTI के तहत मांगी गई जानकारी का भी कोई जवाब नहीं दिया गया, जिससे यह साबित होता है कि नोडल अधिकारी और सीएमओ अपने कर्तव्यों के प्रति कितने उदासीन हैं।
जनता में उबाल:
इन घटनाओं ने नगरवासियों के बीच रोष की लहर पैदा कर दी है। लोगों का कहना है कि अगर सुशासन तिहार में ही समस्याएं अनसुनी रह जाएं और भ्रामक जवाब देकर टाल दी जाएं, तो फिर इस आयोजन की सार्थकता पर प्रश्नचिह्न लगना स्वाभाविक है।
रिपोर्ट
बेअंत सिंह प्रधान संपादक
सहयोगी सुखदेव सिंह आजाद जहांगीर चांपा छत्तीसगढ़ जिला ब्यूरो चीफ