
बरेली। रिपोर्ट – हरीश कुमार गौतम, ब्यूरो चीफ
खमरिया बांध की हालत एक बार फिर किसानों की मेहनत और उम्मीदों पर पानी फेर गई। पहली ही बारिश में कच्चा बांध बह गया, जिससे क्षेत्र के किसानों में भारी आक्रोश और निराशा देखने को मिल रही है।
ज्ञात हो कि खमरिया बांध से करीब 65 गांवों की सिंचाई की जाती रही है। हर वर्ष यह कच्चा बांध बारिश में बह जाता है, जिससे किसानों को अपनी मेहनत की कमाई से चंदा इकट्ठा कर स्वयं ही बांध को दोबारा बनाना पड़ता है।
इस बार जिलाधिकारी और कमिश्नर दोनों ने मौके का निरीक्षण कर पक्का बांध बनाए जाने का आश्वासन दिया था। अधिकारियों ने क्षेत्रीय किसानों से संवाद करते हुए कहा था कि सरकार को प्रस्ताव भेजा जा चुका है और जैसे ही स्वीकृति मिलेगी, निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
किसान नेता जयदीप बरार के नेतृत्व में हर वर्ष की भांति इस बार भी किसानों ने मिलकर कच्चा बांध बनाया था, लेकिन इस बार तो मानसून पूरी तरह आया भी नहीं है और पहली ही बारिश में बांध बह गया, जिससे किसानों में रोष व्याप्त है।
खमरिया बांध से निकलने वाली नहर, जो 65 गांवों की फसलों को सिंचित करती है, अब सूखी पड़ी है। गन्ना, धान और अन्य खरीफ फसलों की सिंचाई का संकट मंडरा रहा है।
किसान फिर एक बार दुबारा कच्चा बांध बनाने को मजबूर हैं और इस समय युद्धस्तर पर बांध को फिर से बाँधने का कार्य किया जा रहा है।
किसानों ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि वादे को निभाया जाए और जल्द से जल्द पक्के बांध का निर्माण कार्य शुरू कराया जाए, ताकि उन्हें हर वर्ष इस असहाय परिस्थिति से न गुजरना पड़े।