
शाही बरेली
ओमवीर सिंह
हर साल 21 जून को हम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाते हैं, यह तो आप जानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज का दिन भी योग के नज़रिए से काफ़ी महत्त्वपूर्ण है। क्योंकि आज के दिन उस शख़्स का जन्म हुआ था जिन्हें दुनिया ‘फादर ऑफ माडर्न योगा’ के तौर पर जानती है। योग को पश्चिमी दुनिया तक पहुंचाने वाले, यह थे महान बी. के. एस. अयंगर!
1918 को वेल्लूर के एक गरीब परिवार में जन्में अयंगर का पूरा नाम बेल्लूर कृष्णमचारी सुंदरराज अयंगर था। वह बचपन में बेहद ही कमजोर थे और अक्सर बीमार भी रहते थे। उन्हें टीबी, डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से भी जूझना पड़ा था। कई डॉक्टर ने यह भी कहा कि वह 20 साल की उम्र तक भी नहीं जी पाएंगे। लेकिन इसके बाद उन्होंने अपने स्वास्थ्य में सुधार के लिए और बीमारियों से बचने के लिए योग शुरू किया।
18 साल की उम्र में वह लोगों को योग सिखाने में निपुण हो चुके थे, और इसके लिए पुणे आ गए थे। पुणे में रहने के दौरान उन्होंने योग का प्रचार-प्रसार पूरी दुनिया में किया। अयंगर को योग सिखाने में उनके गुरु टी.कृष्णमाचार्य का भी बड़ा सहयोग रहा। बीकेएस आयंगर ने योग पर कई किताबें भी लिखी, जिसमें ‘लाइट ऑफ योग’, ‘लाइट ऑफ प्राणयाम’ प्रमुख हैं।
बीकेएस अयंगर ऐसे पहले योग गुरु भी थे, जिन्होंने अपनी एक अनोखी योग शैली से भारत को दुनिया में एक नई पहचान दिलाई। उन्होंने ‘अयंगर योग’ नाम से एक विशेष योग शैली की शुरुआत की। उन्होंने अपना पूरा जीवन योग को समर्पित कर दिया; और दुनिया की कई महान हस्तियों, जैसे बेल्जियम की महारानी एलिजाबेथ, एल्डस हक्सले, डिजाइनर डोन्ना करन, हॉलीवुड अभिनेत्री एनेट बेनिंग, सचिन तेंदुलकर आदि को भी योगा सिखाया।
वह 95 साल की उम्र तक योग करते रहे और लोगो को सिखाते रहे। इस क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया। योग को जन जन तक पहुंचाने वाले बी. के. एस. अयंगर को हमारा नमन।