STD Management: यूं तो STD (Subscriber trunk dialling ) का आविष्कार 1876 ई॰ में ऐलेक्ज़ैन्डर ग्राहम बेल ने कर दिया पर भारत इसके प्रयोग से आछूता रहा था|
इसके आने के बाद आपरेटर की आवश्यकता नही पड़ती थी। ‘एस॰टी॰डी॰’ शब्द का उपयोग भारत, युनाइटेड किंगडम, आयरलैण्ड, आस्ट्रेलिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में होता है। यूएसए और कनाडा आदि उत्तरी अमेरिकी देशों में इसी तरह के काम के लिए जो संख्या प्रयुक्त होती है उसे ‘डायरेक्ट डिस्टैन्स डायलिंग’ कहते हैं।
इसके आने के बाद आपरेटर की आवश्यकता नही पड़ती थी। ‘एस॰टी॰डी॰’ शब्द का उपयोग भारत, युनाइटेड किंगडम, आयरलैण्ड, आस्ट्रेलिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में होता है। यूएसए और कनाडा आदि उत्तरी अमेरिकी देशों में इसी तरह के काम के लिए जो संख्या प्रयुक्त होती है उसे ‘डायरेक्ट डिस्टैन्स डायलिंग’ कहते हैं।
एसटीडी का उपयोग सबसे पहले 5 दिसंबर 1958 को लन्दन, यूनाइटेड किंगडम में लन्दन की महारानी विक्टोरिया द्वारा किया गया था। उन्होंने इसका उपयोग स्कॉटलैंड की राजधानी एडिनबर्ग में वहां के राजा को किया था। यह उस समय कुछ ही लोगों की पहुंच में था, लेकिन धीरे धीरे इसकी प्रसिद्धि आम लोगों के बिच भी बढती गई और लोगों के बीच में यह काफी लोकप्रिय हो गया। लेकिन बदलती टेक्नोलॉजी के दौर में इन एसटीडी का स्थान मोबाइल फोन और फिर बाद में स्मार्टफोन ने ले लिया। वर्तमान में आपको एसटीडी देखने को भी नहीं मिलेंगे।
भारत में आगमन
भारत में टेलीफोन के आगमन के बाद इसे अलग अलग क्षेत्रों को अलग-अलग कोड निर्धारित किये।
एक निश्चित क्षेत्र तहसील सर्किल को एक कोड दिया गया , जिसे दूरभाष कोड के नाम से जाना जाता है। टेलीफ़ोन की एसटीडी व्यवस्था का 1960 में भारत में पहली बार कानपुर और लखनऊ के बीच प्रयोग किया गया।
एक निश्चित क्षेत्र तहसील सर्किल को एक कोड दिया गया , जिसे दूरभाष कोड के नाम से जाना जाता है। टेलीफ़ोन की एसटीडी व्यवस्था का 1960 में भारत में पहली बार कानपुर और लखनऊ के बीच प्रयोग किया गया।