सागर है किताबें – रचनाकार प्रतिमा उमराव (Pratima Umarao)
सागर है किताबें
अमूल्य,अनमोल,बेशकीमती है किताबें |
अकथनीय, अवर्णनीय, अभिन्न मित्र हैं किताबें |
अज्ञान रूपी तिमिर को प्रकाश पुंज बनाती है किताबें |
पथ-प्रदर्शक बन मार्ग प्रशस्त करती है किताबें |
सदाचार-अनाचार का बोध कराती है किताबें |
गुरू का दायित्व निर्वहन करतीं हैं किताबें |
अद्भुत,अनुपम,अद्वितीय, ज्ञान बाँटती हैं किताबें |
उत्तम चरित्र का निर्माण कर आदर्शवान बनाती हैं किताबें।
जीवन जीने की कला बताती हैं किताबें |
बडो़ से लेकर बच्चों तक सबको प्रिय है किताबें |
अप्रतिम उपहार,अतुलनीय धरोहर है किताबें |
सुसभ्य ,संस्कारवान सुनागरिक बनाती है किताबें |
अथाह ज्ञान का सागर है अच्छी किताबें |
सुख दुख मे साथ निभाती हैं किताबें |
सत्संगी बन सुमार्ग पर चलना सिखाती हैं किताबें |
किन्तु इन्टरनेट की चकाचौंध में खो रही हैं किताबें |
पर नहीं भूलना है हमको सभ्य समाज की आधारशिला हैं किताबें|
रचनाकार
प्रतिमा उमराव
पद- स.अ.
विद्यालय- उच्च प्राथमिक विद्यालय अमौली
शिक्षा क्षेत्र- अमौली
जनपद- फतेहपुर