राजस्थान में इस्तीफे का दौर शुरू सचिन कर रहे बल्लेबाजी
राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच कांग्रेस ने सचिन पायलट पर बड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें उपमुख्यमंत्री पद और प्रदेशाध्यक्ष पद से हटा दिया है। इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलने के लिए राजभवन पहुंचे और उन्हें पायलट सहित तीन मंत्रियों की बर्खास्तगी के बारे में सूचित किया। पद से हटाए जाने पर पायलट ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सत्य को परेशान किया जा सकता है पराजित नहीं। वहीं, आज शाम साढ़े सात बजे सीएम अशोक गहलोत के आवास पर राज्य मंत्रिमंडल की बैठक और रात 8:00 बजे मंत्री समूह की बैठक हुई। इस दौरान कई अहम फैसले लिए गए। वहीं, कल जयपुर में भाजपा की बैठक होगी, जिसमें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे मौजूद रहेंगी।
सचिन पायलट अभी नहीं मगर अंतिम समय में भाजपा का दामन थामेंगे। वह भी तब जब वह गहलोत सरकार को गिराने के लिए जरूरी विधायकों की संख्या के प्रति पूरी तरह आश्वस्त होंगे। इस बीच भाजपा को भी अपने स्तर पर कई गुत्थियां सुलझानी होंगी। खासकर वसुंधरा राजे का मन टटोलना होगा। पार्टी सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में करीब 45 विधायक वसुंधरा के अंधभक्त हैं। ऐसे में उन्हें साधे बिना भाजपा अपनी किसी भी भावी रणनीति को अंजाम तक नहीं पहुंचा पाएंगी।
कांग्रेस अभी भी जातिगत समीकरण के साथ आगे बढ़ रही है। पायलट की बर्खास्तगी के साथ ही उसने जाट समुदाय से ज़ुड़े शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप दी। इसी तरह, पायलट के साथ विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को भी बाहर का रास्ता दिखाया गया है। विश्वेंद्र जाट समुदाय से जबकि उनका ससुराल पक्ष गुर्जर समुदाय से है।
राजस्थान की राजनीति में सिंह और मीणा दोनों का अपना दबदबा है, लेकिन अब असल परीक्षा होनी है जिससे पता चलेगा रेगिस्तान का जहाज किस करवट बैठेगा। जातिगत समीकरण की गहराई से समझने वाले कहते हैं कि पायलट के साथ हर जाति के विधायक हैं। जातिगत वोट से खुद को मजबूत किया जाता है, लेकिन एक मुकाम के बाद सफर ठहर जाता है। इस मुकाम पर आने के बाद वही व्यक्ति आगे बढ़ता है, जो सभी जातियों, समूहों को आगे लेकर चलने की ताकत रखता हैं।
सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद राजस्थान कांग्रेस में इस्तीफों की झड़ी लग गई है। पार्टी में जिला स्तर से लेकर प्रदेश एनएसयूआई अध्यक्ष तक कई नेताओं ने पायलट के समर्थन में इस्तीफा दे दिया है। नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के प्रदेश अध्यक्ष अभिमन्यू पूनियां ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। राज्य के पाली जिला से कांग्रेस प्रमुख चुन्नीलाल चड़वास ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उधर, टोंक जिले में पार्टी के 59 पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया है।
एनएसयूआई के अध्यक्ष पूनियां ने कहा, ‘सचिन पायलट के समर्थन में मैंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। उन्हें यूथ कांग्रेस अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया है। मैंने पिछले छह साल प्रदेश के युवाओं की आवाज़ सचिन पायलट के साथ काम किया है और मरते दम तक सचिन पायलट के साथ रहूंगा और उनके नेतृत्व में ही काम करूंगा। इसलिए मैं एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं।’
उन्होंने आगे कहा कि राजस्थान के जाट बिशनोई परिवार के मुखियाओं को जेल भेजने का काम किया हम उस मुंख्यमंत्री के साथ काम नहीं कर सकते, हमारा ईमान भी ज़िंदा है, जमीर भी ज़िंदा है। उन्होंने कहा कि यूथ कांग्रेस, एनएसयूआई, सेवादल के करीब 400-500 पदाधिकारियों ने अपने पदों से त्यागपत्र दे दिया है।
पाली जिला कांग्रेस प्रमुख चुन्नीलाल ने इस्तीफे का ऐलान करते हुए कहा, ”सचिन पायलट को अलोकतांत्रिक तरीके से राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटाए जाने का दुख हुआ।’
गौरतलब है कि अशोक गहलोत से मतभेद को लेकर बागी रुख अख्तियार कर चुके सचिन पायलट पर मंगलवार को पार्टी ने बड़ी कार्रवाई। कांग्रेस ने उनसे उपमुख्यमंत्री के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष का पद भी छीन लिया। इसके अलावा उनके गुट के दो मंत्रियों की भी गहलोत कैबिनेट से छुट्टी कर दी है।