जानकारी नहीं थी।फिर अचानक एक घटना घटी जिसके बाद इस रहस्यमय मूर्ति के बारे में जानकारी हो पायी।जब इस घटना के बारे में पुजारी से विस्तार से जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने बताया कि काफी समय पहले की बात है कि क्षेत्र में एक सेठ थे।जिनकी कई गायें थी।जिन्हे चरवाहे चराया करते थे।अखंड धाम गुढ़ेश्वर जंगल में स्थित है,पहले यहां और अधिक घना जंगल था।यह मंदिर प्रांगण नोन नदी के तट पर स्थित है जहां उस समय जानवरों को पीने के लिए पानी पर्याप्त मिल जाता था।उन्होंने बताया कि एक दिन कुछ चारवाहों ने देखा कि एक गाय मूर्ति को दूध पिला रही है।यह देखकर चरवाहे आश्चर्यचकित हो उठे कि ऐसा कैसे हो सकता है कि एक गाय मूर्ति को दूध कैसे पिला सकती है?
अखंड धाम गुढ़ेश्वर में सावन मास में है ज्यादा मान्यता,लोग यहां अपनी मन्नतों को करते हैं पूरा
अमौली फतेहपुर –
अखंड धाम गुढ़ेश्वर मंदिर फतेहपुर जनपद के अमौली क्षेत्र के चांदपुर गांव में नोन नदी के तट पर स्थित है।यह एक प्राचीन मंदिर है जहां ऐसे कई रहस्य हैं जिनके बारे में सही जानकारी नहीं मिल पाई है।बताते हैं कुछ समय पहले यहां मौनी बाबा नाम के एक बाबा रहा करते थे।मौनी बाबा कभी किसी से नहीं बोलते थे बल्कि इसारों से बात किया करते थे इसीलिए उनका नाम मौनी बाबा पड़ा।
जब हमारी टीम ने मंदिर के पुजारी इत्वारपुरी बाबा से वार्ता की तो उन्होंने बताया कि मंदिर में एक शिव मूर्ति विराजमान है जो एक रहस्यमय मूर्ति है।जिसके बारे में बताया जाता है कि कई बार मूर्ति को दिन ब दिन बढ़ते देखा गया है जो अभी सिद्ध नहीं हो पाया।शायद ऐसा नहीं हुआ होगा,यह लोगों का वहम हो सकता है।पुजारी ने बताया कि यह मूर्ति सतयुगी मूर्ति है जो काफी सालों तक गुप्त रही है।जिसके बारे में किसी को कोई
वह गाय रोजाना उस मूर्ति को दूध पिलाती थी।यह देखकर क्षेत्रीय लोगों ने उस मूर्ति को वहीं पर स्थापित करवा दिया और एक मंदिर का निर्माण करवा दिया।तभी से इस मंदिर में सावन के महीने में अधिक श्रद्धालु आते हैं।सावन के महीने में लोगों की बहुत मान्यता है।मंदिर में सावन के महीने में लोग अपनी मन्नतों को पूरी करने आते हैं।यह मंदिर हिन्दुओं का क्षेत्रीय प्राचीन मंदिर है।इस मंदिर प्रांगण में छः उपमंदिर हैं और एक मंदिर का कार्य प्रगति पर है।यहां पर एक गुफा का भी रहस्य मिला जो अब बंद पड़ी है,गुफा के अंदर अभी दो कमरे खुले हैं जहां मंदिर के पुजारी पूजा पाठ करते हैं। बताते हैं मौनी बाबा यहां पच्चीस सालों तक रह हैं,वह अपना ध्यान इन्हीं गुफाओं में लगाया करते थे।
टीम इंडिपेंडेंट मीडिया नेटवर्क
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