परिजनों को नहीं देखने दिया आखिरी बार,पुलिस ने किया आधी रात में दाह संस्कार।
▪️मृतका को गुंडों ने तड़पाया,फिर परिजनों को पुलिस की गुंडई ने तड़पाया।
▪️मनीषा को मिली दलित होने की सजा?
▪️पंद्रह दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच झूलती मनीषा ने दिल्ली की अस्पताल में तोड़ा दम।
हाथरस ब्यूरो
पंद्रह दिनों तक जीवन और मौत के बीच संघर्ष करते हुए मनीषा ने दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में आखिरी सांसे ली।हाथरस में सामूहिक दुष्कर्म का शिकार हुई बाल्मीकि समाज की युवती मनीषा की मंगलवार को सुबह दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में मौत हो गई।सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता की मौत की खबर जैसे ही पूरे देश में फैली तो लोग सहम गए और हाथरस पुलिस पर सवाल खड़े करने लगे।वहीं राजनीतिक दलों और जातीय संगठनों के लोगो ने सफदरगंज अस्पताल पहुंचकर अस्पताल के अंदर और बाहर दुष्कर्म पीड़िता मनीषा को न्याय दिलाने के लिए जमकर नारेबाजी और हंगामा करना शुरू कर दिया।संगठनों के कार्यकर्ताओं ने आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर फांसी देने की मांग कर रहे थे।इसी दौरान प्रदर्शन को शांत कराने पहुंची पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों की झड़प हो गई।प्रदर्शन कर रहे लोगो का आरोप था कि उत्तर प्रदेश पुलिस इस मामले को शुरू से दबाने की कोशिश कर रही थी।पुलिस ने पहले मामला दर्ज करने में देरी की इसके बाद पीड़िता का सही इलाज भी नहीं कराया।जब पीड़िता के बचने की उम्मीद नहीं दिखी तो पुलिस ने अच्छा इलाज के बहाने दिल्ली सफदरगंज अस्पताल में भर्ती करा दिया।जहां पीड़िता की मंगलवार सुबह मौत हो गई।मौत के बाद पुलिस ने मृतका के शव का पोस्टमार्टम करवाया।पुलिस पर आरोप यह भी लगता है की पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों को नहीं सौंपा।
पीड़िता का अंतिम संस्कार यूपी पुलिस ने मंगलवार की रात बिना परिजनों के सहमति के अंधेरे में चुपचाप करीब 2:30 बजे कर दिया। आरोप है कि इस दौरान पुलिस ने मृतका के परिजनों को घर में बंद कर दिया था।रात्रि को पुलिस और परिजनों के बीच शव को लेकर काफी देर धक्का मुक्की होती रही है।परिजनों की मांग थी कि मृतका का शव उनके कब्जे में दे दिया जाए लेकिन पुलिस ने परिजनों की एक ना सुनी और जबरदस्ती मृतका के शव को कुड़े करकट के ढेर के समान जला दिया।देर रात के यह दृश्य मन को विचलित कर देने वाले थे।जब पुलिस शव को दाह संस्कार के लिए ले जा रही थी उसी दौरान मृतक के रिश्तेदार और परिजन शव ले जाने वाली एम्बुलेंस के आगे आ खड़े हुए और गाड़ी की बोनट में तक लद गए और यही नहीं युवती की मां एम्बुलेंस के आगे सड़क पर लेट गई लेकिन निर्दयी पुलिस ने मां को वहां से हटाकर चलती बनी।
शव की चिता जलती रही,पुलिस खड़े हंसती रही।
पीड़िता के शव को पुलिस ने जला दिया।दाह संस्कार के बाद भी पीड़िता की मां असहाय होकर रोती रही।
मृतक युवती के भाई का आरोप है की पुलिस ने बिना उनकी अनुमति के शव को घर से दूर ले गई और चुपचाप उसका अंतिम संस्कार कर दिया।मृतका के रिश्तेदारों के साथ गांव वालो ने भी पुलिस की इस निर्दयी कार्यवाही का विरोध किया ।इस घटना के बाद इलाके में सनसनी और पुलिस के रवैये के खिलाफ काफी रोष है।
आपको बता दें की चौदह सितंबर को हाथरस के थाना चंदपा क्षेत्र के एक गांव में गांव के ही चार दबंग सिरफिरे युवकों ने एक दलित युवती को अपनी हवस का शिकार बनाकर युवती के साथ गैंगरेप की घटना की अंजाम दिया था।वारदात के बाद आरोपियों ने बड़ी बेरहमी से पीड़िता की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी और उसकी जीभ काट दी।आरोपियों ने घटना को उस वक्त अंजाम दिया जब पीड़िता अपने मां के साथ खेतों में चारा काट रही थी।तभी गांव के चार दबंगों ने आकर युवती को घसीटकर बगल में बाजरे के खेत में ले जाकर गैंगरेप की घटना को अंजाम दिया।घटना की जानकारी जब स्थानीय पुलिस को हुई तो पुलिस ने घटना के बाद एक आरोपी को उसी दिन पकड़ लिया था तथा पुलिस के मुताबिक चारों आरोपियों को बीते शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया है।वहीं युवती को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।लेकिन उसकी हालत में सुधार ना देखते हुए उसे अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कालेज में रेफर किया गया।जहां किशोरी के हांथ पैरों ने काम करना बंद कर दिया।जहां से उसे दिल्ली के लिए के गए जहां मंगलवार को उसकी मृत्यु हो गई।
इस घटना के बाद से पुलिस प्रशासन पर तरह तरह के आरोप लग रहे हैं।
हाथरस गैंगरेप कांड पर सियासत भी तेज।
बसपा सुप्रीमो मायावती के ट्वीट से: यूपी के जिला हाथरस में एक दलित लड़की को पहले बुरी तरह से पीटा गया,फिर उसके साथ गैंगरेप किया गया,जो अति- शर्मनाक व अति- निंदनीय है।जबकि अन्य समाज की बहन – बेटियां भी प्रदेश में सुरक्षित नहीं हैं।सरकार इस ओर जरूर ध्यान दे,बसपा की यही मांग है।