

लखनऊ/इटावा: पचनद के जंगलों में आतंक का पर्याय रही कुख्यात डकैत कुसुमा नाइन की लखनऊ में इलाज के दौरान मौत हो गई। इटावा जेल में उम्रकैद की सजा काट रही कुसुमा टीबी से पीड़ित थी और गंभीर हालत में उसे इलाज के लिए लखनऊ रेफर किया गया था, जहां सोमवार को उसने अंतिम सांस ली।
चंबल की खूंखार दस्यु सुंदरी मानी जाने वाली कुसुमा नाइन पर हत्या, लूट, अपहरण और फिरौती समेत करीब दो दर्जन केस दर्ज थे। उसने 25 साल तक चंबल के बीहड़ों में आतंक मचाया और कई हत्याएं कीं।
बेहमई कांड का लिया था बदला
1984 में औरैया जिले के मई अस्ता गांव में 15 मल्लाहों को लाइन में खड़ा कर गोली मारने की वारदात ने कुसुमा को सबसे खतरनाक डकैत बना दिया था। उसने इस हत्याकांड को फूलन देवी के बेहमई कांड का बदला बताया था।
गांव वालों में जश्न, जलाए जाएंगे घी के दीपक
कुसुमा नाइन की मौत की खबर मिलते ही नरसंहार झेल चुके अस्ता गांव में जश्न का माहौल है। गांव वालों ने कहा कि अब हम घी के दीपक जलाएंगे और उन 14 निर्दोषों की आत्मा को शांति मिलेगी, जिनका कत्ल कुसुमा ने किया था।
कई निर्दोषों को उतारा मौत के घाट
कुसुमा नाइन ने 12 लोगों को गोलियों से भून दिया था, दो को जिंदा जला दिया और दो की आंखें निकलवा दी थीं। उसका आतंक इतना था कि लोग चंबल के बीहड़ों से गुजरने में भी डरते थे।
अपराध का अंत, लेकिन जख्म बाकी
डकैतों की दुनिया में कुसुमा नाइन का अंत एक युग का अंत माना जा रहा है, लेकिन जिन लोगों ने उसके आतंक को झेला, उनके दिलों के जख्म शायद कभी नहीं भर पाएंगे